बीजेपी के लिए 150 पार करना भी हुआ मुश्किल, सामने आए पहले दौर के मतदान के रुझान

 

बीजेपी के लिए 150 पार करना भी हुआ मुश्किल, सामने आए पहले दौर के मतदान के रुझान

 

19 अप्रेल को 21 राज्यों में 102 सीटों पर मतदान के बाद ये साफ हो गया है कि इंडिया गठबंधन बीजेपी से काफी आगे चल रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का दावा है कि पहले दौर के मतदान में इंडिया गठबंधन ने तमिलनाडु औऱ महाराष्ट्र में इकतरफा समर्थन हासिल किया है, वहीं, बिहार, राजस्थान औऱ उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया है. खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक कर मतदान बढ़ाने को लेकर विचार किया.

समझा जा रहा है कि कम मतदान प्रतिशत से भाजपा को नुकसान हुआ है. वहीं, कांग्रेस के स्थानीय संगठन और नेताओं की सक्रियता के कारण  मतदाताओं निकले और  पार्टी के पक्ष में मतदान किया.

एक अनुमान के मुताबिक जिन सीटों पर बीजेपी काबिज रही है, उन सीटों पर 5.9 फीसदी मतदान कम हुआ है, वही जो इंडिया गठबंधन के पक्ष वाली सीटें थी, उन पर 3.2 फीसद मतदान कम होने की खबर है. जाहिर है कि जनता के मिज़ाज के सामने बीजेपी की पन्ना पॉलिटिक्स नाकाम नज़र आ रही है.  

मतदान के बाद मिल रही ग्राउंड रिपोर्ट्स से मालूम हो रहा है कि महत्वपूर्ण कई राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है. जयराम रमेश का कहना है कि “इन ट्रेंड्स के कारण कल से भाजपा के नेता घबराहट में हैं – पीएम का ट्वीट इसी घबराहट का एक संकेत है”.

जयराम रमेश कहते है कि बीजेपी के कई प्रत्याशियों ने स्वीकार किया है कि इस बार उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि कोई मोदी लहर नहीं है. उनका इशारा अमरावती से बीजेपी प्रत्याशी नवनीत राणा की तरफ है, जिन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को चेताते हुए कहा था कि कोई ये सोचता है कि मोदी लहर में जीत जाएंगे तो ये सही नहीं है.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट को भी उनकी घबराहट का संकेत माना जा रहा है. यही नहीं अपनी रैलियों में पीएम मोदी के भाषणों में असर नज़र नहीं आ रहा है. बीजेपी से ज्यादा मोदी अपनी गारंटी की बात दोहरा रहे हैं. कांग्रेस पर हमले के अलावा मोदी के तरकश में कोई तीर नहीं बचा है. पीएम मोदी के कांग्रेस पर हमले बड़े बेतुके और बचकाने लग रहे हैं. कुल मिला कर चुनाव का एजेंडा तय करने में मोदी नाकाम नज़र आ रहे हैं. दरअसल इलेक्टोरल बांड के दुनिया के सबसे बड़े वसूली रैकेट के खुलासे और कांग्रेस के धारदार हमलों से पीएम मोदी पहली बार बचाव की मुद्रा में नज़र आए और इलेक्टोरल बांड को लेकर बेहद खोखली दलीलें देते दिखे, उसके बाद से मोदी और बीजेपी की लाइन और लैंग्थ बिगड़ती चली गई. कम मतदान होने से साफ है कि उनकी सफाई से बीजे पार्टी के कार्यकर्ता भी संतुष्ट नहीं है. 

माना जा रहा है कि “400 पार” और संविधान बदलने को लेकर की गई बयानबाज़ी का ज़मीनी स्तर पर उलटा असर हुआ है

वहीं काग्रेस न्याय पत्र 2024 के रूप में जनता की समस्याओं के समाधान का ठोस रोड मैप ले कर आई है. वहीं अगर जयराम रमेश की भाषा में कहें तो “गारंटियों को लागू करने के मामले में हमारी राज्य सरकारों के शानदार ट्रैक रिकॉर्ड हैं. इससे @INCIndia की गारंटियां देश भर में लोकप्रिय हो रही है और चर्चा का विषय बनी हुई हैं.  उनके मुताबिक देशभर में अंडर करंट मजबूत हो रहा है. अब एक लहर चल रही है.

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