चुनाव नतीजों में धांधली की साजिश की जा रही है !! कांग्रेस  ने निर्वाचन आयोग के तौर-तरीकों पर उठाए सवाल

दुनिया के सबसेे बड़े लोकतंत्र में 2024 के आम चुनाव के तहत तीसरे चरण के मतदान संपन्न हो गए. लेकिन कई जगह सत्तारूढ़ बीजेपी के पक्ष में पुलिस-प्रशासन की मतदान कम करने की कोशिशों की खबर आ रही हैं. वहीं खबरों के मुताबिक गुजरात मेें एक मतदान केंद्र के बाहर मर्यादापुरुषोत्तम राम का कट ऑउट लगा कर लोकतंत्र की मर्यादा खत्म की जा रही है. 

वहीं, गुजरात और कर्नाटक बीजेपी की सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट पर विपक्ष के दबाव के बाद चुनाव आयोग को नोटिस जारी करना पड़ा तो एक जगह ईवीएम को जलाने की कोशिश की भी खबर आई. इन घटनाओं को चुनाव आयोग की गिरती साख से जोड़ कर देखा जा रहा है.

ये तब हो रहा है जब तीसरे चरण के मतदान के दौरान चुनाव प्रक्रिया देखने 23 देशों के 75 प्रतिनिधि भारत आए हुए हैं.

इसी बीच भारतीय निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं. इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र लिख कर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.

खड़गे ने अपने पत्र में कहा कि संसदीय इतिहास में पहली बार निर्वाचन आयोग की साख इतने नीचे आई है. उन्होंने अपने पत्र में पहले और दूसरे चरण के मतदान केे बाद वोट प्रतिशत जारी किए जाने में देर पर सवाल उठाया है.

चुनाव आय़ोग ने पहले चरण के 19 अप्रेल को हुए मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण, 26 अप्रेल को वोटिंग के चार दिन बाद मतदान प्रतिशत जारी किए. जबकि पहले 24 घंचे के भीतर ये आंकड़े जारी कर दिए जाते थे.  इसे लेकर लोगों ने सोशल  मीडिया पर भी सवाल उठाए हैं.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीसरे चरण के चुनाव के लिए फायनल रजिस्टर्ड वोटर लिस्ट अभी तक जारी न करने पर भी सवाल खड़े किए हैं.

अपने लंबे पत्र में खड़गे ने कहा है कि पहले दोनों चरणों के अंतिम वोटिंग परसेंट जारी करने में विलंब से आंकड़ों की विश्वसनीयता कम हुई है. उन्होंने सवाल किया है कि क्या येे ईवीएम से जुड़ा हुआ मामला है?  खड़गे का कहना है कि उनके बावन वर्षीय संसदीय जीवन में उन्होंने पहली बार चुनाव आयोग की इस तरह की कार्यशैली देखी है. उन्होंने इंडिया के सहयोगी दलों से चुनाव आय़ोग से सवाल पूछने का आग्रह किया है.

ये सवाल उठने की वाजिब वजह भी है. पहले दौर की 102 सीटों के लिए हुए 19 अप्रेल को हुए मतदान का शाम सात बजे वोटिंग प्रतिशत 60 फीसदी बताया गया. लेकिन 30 अप्रेल को चुनाव आय़ोग ने अंतिम वोटर प्रतिशत 66.14 प्रतिशत बताया. वही 26 अप्रेल को 89 सीटों पर हुए मतदान के बाद शाम सात बजे आयोग ने 60.96 फीसदी मतदान बताया था, लेकिन तीस अप्रेल को जारी फायनल टेली में ये मतदान प्रतिशत बढ़ कर 66.7 हो जाता है.

 मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे काफी गंभीर माना है. उन्होंने कहा है कि पहले दौर में 5.5 फीसदी की बढ़ते और दूसरे दौर में 5.74 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी समझ से बाहर है. सात बजे तक के आंकड़े जारी होने के बाद कतार में लगे लोगों के आंकड़ों में पांच फीसदी का इजाफा होना गैर मामूली माना जा रहा है. जबकि देश में ऐसी कोई लहर या भावनात्मक मुद्दा नहीं है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी हाल ही में फायनल वोटिंग प्रतिशत के साथ रजिस्टर्ड वोटरों की संख्या बताने के लिए चुनाव आयोग से अपील की थी. वहीं खड़गे ने तीसरे चरण के कुल पंजीकृत वोटरों की संख्या जारी करने की मांग चुनाव आयोग से उठाई है.

 कांग्रेस अध्यक्ष ने चुनाव आयोग से विभिन्न चरणों में हो रहे मतदान के बाद हर मतदान केंद्र,विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के वोटर टर्न ऑउट डेटा जारी करने की मांग उठा दी है. इंडिया गठबंधन के समर्थकों का मानना है कि  कुल पंजीकृत वोटरों की तादाद जारी करने  में आयोग की आनाकानी  संदेह को जन्म दे रही है.

खड़गे ने निर्वाचन आयोग से हर मतदान क्षेत्र में दर्ज कराई गई शिकायत को भी सार्वजनिक करने  की मांग की है. दरअसल अमूमन यही हो रहा है कि बीएलए, विपक्ष के प्रतिनिधियों औऱ समर्थकों की शिकायतों के बारे में ये जानकारी भी नहीं दी जाती कि आयोग ने उनका संज्ञान लिया भी या नहीं. ऐसे में सार्वजनिक डोमेन में शिकायत आने पर आयोग को अपनी पारदर्शिता स्थापित करनेे का मौका मिलेगा . वही हर पोलिंग बूथ, एसेंबली और लोकसभा सेगमेंट के आंकड़े साथ-साथ जारी करने से आयोग की ही साख बढ़ेगी. 

खड़गे ने ये जानना चाहा है कि जब हर पोलिंग बूथ के आंकड़े चुनाव आयोग के पास उपलब्ध है, तो उन्हें प्रकाशित करने से आखिर रोक कौन रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता और चुनाव की पारदर्शिता पर सीधे उंगली उठाई है.

उन्होंने बेहद गंभीर आरोप लगाया है और कहा है कि इन कोशिशों के पीछे 2024 के आम चुनाव के अंतिम नतीजों में गड़बड़ी की साजिश की बू आ रही है.

कांग्रेस का कहना है कि  निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता की रक्षा के लिए सभी को आगे आना होगा और बदली हुई चुनाव प्रक्रिया की इन विसंगतियों पर सवाल उठाने होंगे.

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