प्रधानमंत्री के तौर पर दस साल पूरे कर चुके नरेंद्र मोदी राहुल गांधी पर अंबानी-अडानी को लेकर आरोप लगा रहे हैं. मोदी कह रहे हैं कि ‘अंबानी-अदाणी ने कांग्रेस को टेम्पो भरकर नोट भेजे?
पीएम मोदी ने तेलंगानी के करीम नगर की अपनी चुनावी रैली में ये आरोप लगा कर जानें-अनजाने अंबानी-अडानी को चुनावी मुद्दा बना दिया है और खुद कटघरें में खड़े हो गए हैं. प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी के इस बयान को चुनावी जुमला कतई नहीं माना जा सकता.
अव्वल तो उन्होंने खुद अंबानी समूह और गौतम अडानी पर काला धन रखने का आरोप लगाया है. इस आरोप से अंबानी-अडानी से उनके रिश्तों की तस्दीक हो गई है. साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को भी सही साबित कर दिया है.
देश ये जानना चाहता है कि-
अव्वल तो अगर अंबानी-अडानी के पास काला धन है, तो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कहने वाले मोदी ने दस साल बाद चुनाव के वक्त ये बात क्यों कही?
कालाधन खत्म करने के लिए नोटबंदी की थी, तो क्या पीएम मोदी के करीबी होने की वजह से अंबानी-अडानी के काले धन पर कार्रवाई नहीं की गई?
अंबानी-अडानी को उद्यमी, सुदामा और वेल्थ क्रिएटर बता कर राहुल गांधी की आलोचना करने वाले वाले पीएम मोदी को अचानक अंबानी-अडानी काला धन रखने वाले भ्रष्ट पूंजीपति क्यों नज़र आने लगे हैं ?
विपक्ष के नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई करवाने वाले मोदी ने पुख्ता जानकारी होने के बाद भी अंबानी-अडानी के घर ईडी,सीबीआई और इंकम टैक्स को क्यो नहीं भेजा? और मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की?
पीएम मोदी की सरकार चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी के हैलीकॉप्टर की जांच करवा सकती है, लेकिन अपने ‘हम दो-हमारे दो’ के रुपयों से भरे टैंपों को पकड़ने में ईडी,सीबीआई और इंकम टैक्स क्यों नाकाम रहीं?
जब अडानी के गोरखधंधे पर शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने घोटालों के आरोप लगाए थे, तो बीजेपी और मोदी सरकार ने इसे भारत पर हमला क्यों बताया था ?
हिंडनबर्ग खुलासे में #गौतम_अडानी और उनकी कंपनी से जुड़े कथित शेल कंपनियों के खिलाफ जांच से मोदी सरकार क्यों कतराती रही है ?
कांग्रेस ये मुद्दा पीएम मोदी के पहले कार्यकाल से उठा रही है. तब विदेश यात्राओं के दौरान अंबानी की 5 और अडानी की तेरह बिजनेस डील में पीएम मोदी ने अपने पद की साख का इस्तेमाल क्यों किया?
अगर अंबानी के पास काला धन था तो राफेल घोटाले को लेकर फ्रांस में चल रही न्यायिक जांच में मोदी सरकार ने सहयोग क्यों नहीं कर रही है? ये आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि फ्रांस के भारत में राजदूत ने 25 जुलाई,2023 को अपनी सरकार को लिखे पत्र में लगाया है.
पूर्व फ्रांसीसी पीएम ने खुलासा किया था कि मोदी के कहने पर ही अनिल अंबानी को रक्षा सौदे के ऑफ सेट उत्पादन के काम दिए गए, तब क्या अनिल अंबानी पाक-साफ थे ?
राफेल मामले को लेकर फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को बीजेपी से राज्यसभा की सदस्यता दे कर पीएम मोदी ने देश को क्या संदेश दिया.
अगर अडानी के पास काला धन था तो सेबी की जांच प्रभावित करने की कोशिश क्यों की गई?
अडानी को क्लीन चिट देने वाले सेबी के तत्कालीन चैयरमैन को अडानी की मीडिया कंपनी एनडीटीवी का निदेशक क्यों बनाया गया?
अडानी को ऑस्ट्रेलिया में धंधा दिलाने केे लिए पीएम मोदी अडानी के साथ स्टेेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरमैन को गारंटी देने के लिए क्यों ले गए ?
अपने पहले कार्यकाल में मोदी अंबानी-अडानी को साथ ले जा कर विदेशी सरकारों और कंपनियों से अपने पद की साख का इस्तेमाल कर धंधा क्यों दिलवाते रहे ?
अडानी को विदेश से कोयला आयात कर राज्यों को महंगे दाम पर बेचने के लिए मोदी सरकार प्रदेश सरकारों पर दबाव क्यों बना रही थी?
महंगे कोयले के नाम पर अडानी को देश की जनता की जेब से 14 हजार करोड़ रुपए क्यों निकालने दिए?
काले धन को लेकर अपने ही साथियों को बदनाम करने वाले पीएम मोदी ये बताएं कि फर्जी कंपनियों से बीजेपी ने चुनावी चंदा क्यों लिया?
जहां तक रहा सवाल अडानी-अंबानी के खिलाफ ना बोलने का, तो राहुल गांधी ने अपनी संसद सदस्यता औऱ शासकीय आवास अडानी और मोदी के रिश्तों पर सवाल उठाने पर ही खोई थी.
7 फरवरी,2023 को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राहुल गांधी ने अडानी की मोदी के साथ तस्वीर दिखाई थी. इसके बाद अवमानना मामले में सूरत की अदालत ने अधिकतम दो साल की सजा सुनाई. जिसे आधार बना कर लोकसभा अध्यक्ष ने उनकी संसद सदस्यता खारिज कर दी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए निचली अदालत के फैसले पर सवाल उठाए. लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार ने सजा देने वाले जज को प्रमोशन दे कर तबादला किया.
हालांकि अपने लाड़ले सुदामाओं पर खुद पीएम मोदी के पलट कर हमलावर होने की सही वजह समझना मुश्किल हो रहा है. इस पर कांग्रेेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि “ज़मीनी स्थिति इतनी गड़बड़ाई हुई है कि “हम दो हमारे दो” के “पप्पा” अपनी ख़ुद की संतानों का बलिदान कर रहे हैं”
जयराम रमेश का कहना है कि जिस व्यक्ति ने अपनी पार्टी के लिए 8,200 करोड़ रुपए का चंदा इकट्ठा किया – इतना भयंकर घोटाला किया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे असंवैधानिक घोषित किया – वो आज दूसरों पर आरोप लगा रहा है. याद रखें कि अपने “चार रास्ते” द्वारा प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के निजी स्वार्थ और सत्ता-लोभ के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का ठेका और लाइसेंस दिया था. अगर आज भारत में ऐसी स्थिति है कि 21 अरबपतियों के पास इतना धन है जितना कि 70 करोड़ भारतीयों के पास है, तो यह प्रधानमंत्री के नियत और नीति का ही परिणाम है. जाहिर सी बात है कि इस 21 में “हमारे दो” की बहुत ही अहम भूमिका है.”
वहीं, जानकारों का मानना है कि हरियाणा में निर्दलीय विधायकों के बीजेपी सरकार से समर्थन वापिस लेने,दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के कांग्रेस को सरकार बनाने का प्रस्ताव देने से देश की बदलती हवा का रुख पता चलता है. वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इस आम चुनाव केे बाद कई क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस में विलय करना होगा. वहीं उद्योग जगत भी हवा का रुख भांप रहा है. बड़े पूंजीपतियों के मीडिया संस्थान भी करवट बदलने की तैयारी में हैं. टेस्ला और ट्विटर के मालिक एलेन मस्क ने व्यस्तता के कारण भारत आकर पीएम मोदी से मुलाकात का कार्यक्रम रद्द कर दिया है और चीन पहुंच गए हैं.
अब बीजेपी और मोदी के सारे पासे गलत पड़ने लगे हैं. जाट,गुर्जर, राजपूत,ब्राह्मण, यादव, आदिवासी, मराठे, सिक्ख और मुसलमान वर्ग बीजेपी सेे नाराज़ नज़र आ रहे हैं. यहां तक कि बीजेपी के वोटर भी गर्मी का हवाला दे कर मतदान केंद्र पर पहुंचने में बहुत उत्साह नहीं दिखा रहे हैं. कई पोलिंग बूथ पर वोटिंग खत्म होने से पहले ही बीजेपी के बूथ एजेंट नदारद पाए गए हैं. आरएसएस ने भी सक्रिय ना होने की अफवाह फैलानी शुरू कर दी है. तीन चरणों के चुनाव में बीजेपी की पुरानी काबिज सीटों में से आधे पर ही जीत की उम्मीद जताई जा रही है. चौथे चरण को लेकर भी पीएम मोदी की भाषा में हताशा झलक रही है. पांचवे, छठे औऱ सातवें दौर में बीजेपी के पास हासिल करने के लिए बहुत कुछ नहीं है. कांग्रेस की खातेबंदी के बावजूद रैलियों में जुटी भीड़ और कांग्रेस के न्यायपत्र के लाखों की तादाद में डॉउनलोड किए जाने से बीजेपी और मोदी में गहरी असुरक्षा भर गई है.
इसी असुरक्षा ने उन्हें अंबानी औऱ अडानी पर हमला बोलने के लिए मजबूर कर दिया है. वहीं, बीजेपी पर आरक्षण और संविधान खत्म करने की साजिश के नैरेटिव से पीएम मोदी कांग्रेस को भटकाना भी चाहते हैं. क्योंकि बीजेपी नेताओं के आरक्षण खत्म करने के बयान भारी पड़ रहे हैं औऱ कांग्रेस उसे मुद्दा बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.
लेकिन राहुल गांधी अंबानी-अडानी की बहस छेड़ने के पीछे बीजेपी औऱ मोदी की इस ध्यान भटकाने की रणनीति को समझ रहे हैं, उन्होंने ट्वीट कर जवाब दिया औऱ कहा कि जितना पैसा पीएम मोदी ने 22 लोगों को दिया है, उतना पैसा कांग्रेस गरीबों के बीच बांटेगी. वो कहते हैं कि मोदीजी ने 22 अरबपति बनाए, हम करोड़ों लखपति बनाएंगे.
सच यही है कि बेरोजगारी और महंगाई इस चुनाव के बड़े मुद्दे हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी हिस्सेदारी न्याय को भी मजबूती से अपनी चुनाव रैलियों में उठा रहे हैं.
राहुल गांधी ने वहीं कांग्रेस कार्यकार्ताओं को आगाह भी किया है कि “नरेंद्र मोदी के झूठे प्रचार से भटकना मत, अपने मुद्दों पर डटे रहना. 4 जून को INDIA की सरकार बनने जा रही है. हमारी गारंटी है कि 15 अगस्त तक हम 30 लाख सरकारी पदों पर भर्ती का काम शुरू कर देंगे.
पीएम मोदी की हताशा ने कांग्रेस का आत्मविश्वास और बढ़ा दिया है..”अबकी बार, कांग्रेस सरकार”