डरे हुए तानाशाह का लोकतंत्र पर एक और हमला! चुनिंदा लोगों की हो रही जासूसी, एपल ने जारी किया एलर्ट

         400 पार के लिए डरे हुए तानाशाह का नया हथकंडा, आईफोन रखने वालों की हो रही जासूसी, एपल ने दी चेतावनी  

     

      बहुत खूंखार होता है एक डरा हुआ तानाशाह. एक बार फिर विपक्ष, एक्टिविस्ट और पत्रकारों की जासूसी शुरू हो गई है. ऐन चुनाव के वक्त कई लोगों को टारगेट पर लिया जा चुका है.  मोबाइल के जरिए जासूसी को विपक्षी नेताओं के रातोंरात बीजेपी में शामिल होने की बड़ी वजह होने की आशंका भी जताई जा रही है. खासकर जब अचानक पाला बदल कर नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं.

दरसल एपल ने एक बार फिर अपने कुछ उपभोक्ताओं को एक एडवाइजरी जारी की है. उनसे कहा कि शायद आपके मोबाइल पर मर्सेनरी ग्रेड के जासूसी सॉफ्टवेयर के हमला हुआ है. एपल ने कहा कि स्पाईवेयर से ये हमलाआपकी पहचान और आपके पेशे की वजह से हुआ हो सकता है. जाहिर है कि विपक्ष के नेताओं और पत्रकारों के मोबाइल पहले की तरह के निशाने पर रहे हैं.

ये भी कहा जा रहा है कि कि ये थ्रेट सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के 91 देशों के लिए है. लेकिन समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है.

         इससे पहले भी पिछले साल अक्टूबर में एपल ने अपने कंज्यूमर्स को ऐसा ही संदेश भेजा था. लेकिन उसमें साफ़ साफ़ लिखा था कि शायद आपके मोबाइल पर स्टेट स्पॉंसर्ड यानि सरकारी या सरकार समर्थित जासूसी सॉफ्टवेर से हमला हुआ है.

ये थ्रेट जारी करने पर मोदी सरकार उल्टे एपल पर ही नाराजगी जताई थी. मोदी सरकार ने एपल को जांच कराने की धमकी दी थी. दिसंबर, 2023 मे एपल के अफसरों को अमेरिका से बुलवा लिया गया. भाषा बदलने को कहा गया. दबाव में आ कर एपल ने चेतावनी की भाषा बदल दी.

चूंकि इंडिया में एपल की मैन्युफैक्चरिंग हो रही है. सरकार से कदम कदम पर मदद चाहिए. चेतावनी की भाषा बदलने के बाद एपल ने ऐलान किया कि अब वो हर चौथा आईफोन भारत में ही बनाएगी. चेतावनी के बदले में चेतावनी का खेल गौर करने के लायक है

हालांकि स्टेट-सल्पांसर्ड स्पाईवेयर शब्द हटाने से एपल की साख पर दुनिया भर में भारी नुकसान हुआ. एपल को दुनिया भर में मुकदमों का सामना करने की नौबत आ गई थी. 

मर्सेनरी ग्रेड का मतलब है कि पेगसस की तरह, क्योंकि पेगसस भी रक्षा क्षेत्र में काम आने वाला जासूसी सॉफ्टवेयर माना जाता था.

आपको याद होगा कि भारत सरकार पर पेगसस से विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी कराने का मामला सामने आय़ा था. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी कमेटी ने माना था कि माना कि 29 आआईफोन में से 5 में मालवेयर मिला है. लेकिन ये भी कहा कि मोदी सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी जांच बेनतीजा रही. यूज़र्स की प्राइवेसी की आड़ ले ली गई.

वहीं अमेरिका में भी जांच जारी है. और अमरीकी अदालत ने पेगसस बनाने वाली कंपनी एनएसओं को पेगसस का कोड देने को मजबूर कर दिया है. लेकिन मोदी  सरकार जांच के खिलाफ रही और मदद नहीं की.

यहां आपको बताना ज़रूरी है कि अमेरिका में ये मुकदमा  2019 में व्हॉट्सअप ने पेगसस को लेकर एनएसओ के खिलाफ दायर किया है. जाहिर है कि व्हॉट्सअप भी सेफ नहीं है.

 अहम बात ये है कि पेगसस जासूसी कांड की जांच अमेरिका, फ्रांस, पोलैंड,यूरोपियन यूनियन और तो और इजरायल में भी जांच चल रही है, जहां एनएसओ कंपनी का मुख्यालय है. लेकिन हिंदुस्तान में हम लोग दिमागी तौर पर इतने पिछड़ेे हुए हैं कि सोचते हैं कि फरक पेंदा, सब चंगा सी. क्या हुआ अगर जासूसी कर भी ली तो. हम लोग लोकतंत्र की भेड़-बकरियां हैं. जिधर हांक दो, चल देते हैं.

बहरहाल पेगसस जासूसी कांड का खुलासा तब हुआ जब स्वतंत्र पत्रकारों के 16 अंतरराष्ट्रीय   संगठनों ने उन पचास हजार मोबाइल नंबरों की गहरी छानबीन की, जिनमें पेगसस डाला गया था. इस टीम में अमरिकी, ब्रिटिश,जर्मनी,फ्रांस,भारत, लेबनान, इज़रायल समेत कई देशों के पत्रकार शामिल थे. 

इसमें खुलासा हुआ कि सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर में पेगसस से नेताओं,पत्रकारों,एक्टिविस्टों, बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया गया है. हालांकि एनएसओ का कहना है कि व पेगसस सिर्फ सरकारों को ही बेचते हैं. वहीं मोदी सरकार ने इजरायल से 2 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे में से इसे हासिल किया. लेकिन मानने को तैयार नहीं है.  

 हाल ही में राष्ट्री सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने इज़रायल की यात्रा की है. जासूसी कांड की वजह से पेगसस पर पूरी दुनिया की नज़र है. इसी साल मार्च में खबर आई थी कि मोदी सरकार अब दूसरे स्पाईवेयर खरीदने की फिराक में है. नई थ्रेट  एडवायज़री सेे लगता है कि स्पाईवेयर आ गया है और काम पर लगा दिया गया है. अगर चुनाव में काम न आया तो फिर किस काम का.

डरा हुआ तानाशाह, हर हथकंडा  इस्तेमाल कर रहा है.

 

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