इलेक्टोरल बांड: अब फर्जी कंपनियों से बीजेपी को चंदा मिलने का खुलासा

इलेक्टोरल बांड से जुड़ी नई नई जानकारियां जैसे-जैसे सामने आ रही हैं, दुनिया के सबसे बड़े वसूली रैकेट को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. ताजा खुलासे से पता चला है कि इलेक्टोरल बांड के जरिए 33 फर्जी कंपनियों ने बीजेपी को एक हजार अड़सठ करोड़ का चंदा दिया है.
द हिंदू अखबार और स्वतंत्र पत्रकारों के समूह ने अपनी पड़ताल में बताया है कि इलेक्टोरल बांड से एक हजार चार सौ बत्तीस करोड़ का चंदा देने वाली 45 कंपनियों ने ये पैसा अज्ञात स्रोत से दिया है.

इलेक्टोरल बांंड की गहराई से जांच मेंं ये खुलासा हुआ है कि चंदा देने वाली 45 कंपनियों में से 33 कंपनियां घाटे में चल रही हैं. पिछले सात साल में इन कंपनियों ने अपने खातों में घाटा दिखाया या फिर नो प्रॉफिट प्रदर्शित किया. इन्होंने इलेक्टोरल बांड से 581.7 करोड़ का चंदा दिया, जिसमें से 434.2 करोड़ बीजेपी के पास गया.

यही नहीं. इनमें से 6 चंदा देने वाली कंपनियों ने अपने मुनाफे से कई गुना ज्यादा कीमत के बांड खरीदे. जिन कंपनियों ने नेट प्रॉफिट दिखाया, उन्होंने नकारात्मक प्रत्यक्ष कर की सूचना दी. वहीं इलेक्टोरल बांड से चंदा देने वाली तीन कंपनियों
कुल 16.4 करोड़ रुपये का दान दिया, लेकिन उन्होंने अपने मुनाफे या सात साल की अवधि के लिए भुगतान किए गए प्रत्यक्ष करों पर कोई डेटा रिपोर्ट नहीं किया, जिससे जाहिर होता है कि वो काले धन को सफेद करने वाली फर्जी कंपनियां हैं.
द हिंदू अखबार ने बीजेपी को चंदा देने वाली 385 कंपनियों का हिसाब खंगाला, जिसमें से 221 फर्म्स के डेटा का सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी (CMIE) के डेटा बेस से मिलान किया जा सका.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि #ElectoralBondScam में हुए भ्रष्टाचार का खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ा. उनका कहना है कि चार मुख्य तरीकों से भ्रष्टाचार हुआ है.
1. चंदा दो, धंधा लो
2. ठेका लो, रिश्वत दो
3. हफ़्ता वसूली
4. फ़र्ज़ी कंपनी

जयराम रमेश ने कहा है कि सात वर्षों (2016-17 से 2022-23) में टैक्स के बाद नकारात्मक या लगभग शून्य लाभ वाली तैंतीस कंपनियों ने भाजपा को ₹434.2 करोड़ का चंदा दिया है. उन्होंने आशंका जताई है कि इन 33 कंपनियों में से अधिकांश मनी लॉन्ड्रिंग के उद्देश्य से बनाई गई शेल (फर्जी) कंपनियां हैं.

वहीं भाजपा को छह ऐसी कंपनियों द्वारा ₹601 करोड़ का चंदा मिला, जिनका 2016-17 से 2022-23 तक कुल मिलाकर सकारात्मक शुद्ध लाभ था, लेकिन उनका इलेक्टोरल बांड डोनेशन उनके कुल शुद्ध लाभ से काफ़ी अधिक है। ये कंपनियां संभवतः अन्य कंपनियों के लिए मुखौटे के रूप में काम कर रही थीं.

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