सिर के ऊपर आग बरसाता सूरज, टैंप्रेचर-45 डिग्री सेंटीग्रेड, जितनी गर्मी उतना उबलता सियासी तापमान.
फूलपुर और प्रयागराज में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की संयुक्त रैली में जुटी अप्रत्याशित भीड़ ने राजनीति के विश्लेषकों को चौंका दिया है. फूलपुर में दो लाख की अपेक्षित भीड़ से एक लाख ज्यादा लोग जुटे. अनियंत्रित भीड़ सुरक्षा घेरे को तोड़ कर अपने नेताओं से मिलने मंच तक पहुंच गई. इस अव्यवस्था के बीच दोनों नेताओं ने करीब बीस मिनट तक देश की राजनीति पर आपस में चर्चा की और दूसरी रैलियों के लिए निकल गए. दोनों नेताओं के बीच बातचीत का वीडियो अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
दोपहर तीन बजे फिर प्रयागराज में रैली के लिए राहुल गांधी और अखिलेश पहुंचे. यहां भी पांच लाख से भी ज्यादा इंडिया समर्थकों में भारी उत्साह दिखा. माइक खराब होने की वजह से राहुल संक्षिप्त सा संबोधन कर पाए. यहां भी चारों तरफ से भारी जनसैलाब उमड़ा. यूपी में इंडिया को मिल रहे भारी जनसमर्थन से उत्साहित राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से तस्वीरें शेयर की हैं.
जानकारों का मानना है कि जिस तरह 2014 में नरेंद्र मोदी की सभाओं में भीड़ उमड़ा करती थी, उसी तरह इस बार इंडिया गठबंधन के लिए स्वत:स्फूर्त जनसागर उमड़ता दिखाई दे रहा है. ये भीड़ बदलाव की आंधी का संकेत दे रही है. कहा जा रहा है कि इंडिया ने यूपी में गर्दा उड़ा दिया.
अभी तीन चरणों के मतदान बाकी है. 20 मई को होने वाले मतदान में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड,प. बंगाल,ओडिशा, महाराष्ट्र, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में मतदान होना बाकी है.
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में इंडिया गठबंधन मजबूत स्थिति में है. वहीं बीजेपी को यूपी, झारखंड, प. बंगाल, ओडिशा में रिकवरी की उम्मीद बची है.
फूलपुर, और प्रयागराज में इंडिया गठबंधन के लिए जनता के उत्साह का यूपी की बाकी सीटों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. बाकी तीन चरणों में यूपी की 80 सीटों में से 41 सीटों पर मतदान होना बाकी है.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि इंडिया गठबंधन के लिए हर चरण में मतदाता अधिक मुखर हो कर रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं. जाहिर है कि यूपी की आधी सीट पर जीत के लिए बीजेपी और पीएम मोदी जी के लिए अस्तित्व का सवाल बन गया है.
20 मई को पांचवें चरण में यूपी की 14 सीटों को मतदान होने जा रहा है, इसमें अमेठी और रायबरेली भी शामिल है, वहीं 25 मई को छठे चरण में यूपी की 14 और एक जून को आखिरी चरण में 13 सीटों पर मतदान होना बाकी है,
इन 41 सीटों में बहुतायात वो सीटें हैं, जहां विकास की बयार नीचे तक नहीं पहुंची है. इनमें से ज्यादातर पूर्वांचल की सीटें हैैं, जहां अथाह गरीबी है, और उससे भी ज्यादा बेरोजगारी.
गरीबी,अशिक्षा और बेरोजगारी की वजह से बीजेपी का इस क्षेत्र में खासा दबदबा रहा है.
पांच किलो के बजाय दस किलो अनाज देने का वादे की वजह से यहां कांग्रेस के प्रति उत्साह दिखाई पड़ रहा है.
महालक्ष्मी योजना के तहत 4 जुलाई से हर घर की बुजुर्ग महिला को 8500 रुपए सीधे खाते में ट्रांसफर की गारंटी कांग्रेस के लिए मतदाताओं में रुझान बढ़ा रही है.
वहीं बेरोजगार युवाओं को अग्निवीर योजना खत्म कर रेगुलर भर्ती का वादा लुभा रहा है.
पहली नौकरी पक्की यानि एक लाख रुपए के स्टाइपेंड के साथ साल भर की एप्रेंटडिंसशिप की कानूनी गारंटी से युवाओं को पेड स्किल डेवलपमेंट का मौका नज़र आ रहा है.
वहीं, इस पूरी पट्टी में पिछड़े और दलित वर्ग की भी बड़ी आबादी है..
पूर्वांचल की 27 सीटों में से 21 सीटों पर 2019 में बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इस बार समीकरण उलटने के हालात बनते नज़र आ रहे हैं.
कांग्रेस का न्यायपत्र सरकार ही नहीं देश की भावी राजनीति ही बदलने जा रहा है…
न्यायपत्र 2024 में बारहवी सदी के मैग्नाकार्टा और सतरहवीं सदी की फ्रांसीसी क्रांति से जुड़े दस्तावेज- The Declaration of the Rights of Man and of the Citizen की झलक मिलती है..
पूर्वांचल में दमित-वंचित वर्ग को कांग्रेस का हिस्सेदारी न्याय सम्मोहित कर रहा है. यही वह क्षेत्र है, जहां जातिजनगणना की कांग्रेस की गारंटी बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी…
औऱ फायनल बात ये है कि “यूपी के दो भाईयों” के साथ आने से बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश वाटरलू साबित होने जा रहा है.