इंडिया गठबंधन सरकार बनाने को तैयार..करेगा तीन सौ पार, अमित शाह कलेक्टरों को दे रहे धमकियां!!

इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि है कि इंडिया 295+ सीट जीत रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ये जनता का सर्वे है.

इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार,कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, जेएमएम नेता कल्पना सोरेन,आरजेडी नेता तेजस्वी यादव,सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव,राम गोपाल यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी,और सीपीआई नेता डी राजा शामिल थे.

इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मतगणना के बाद की स्थितियों और विकल्पों को लेकर चर्चा की. कांग्रेस ने जनता के सर्वे के हवाले से इंडिया गठबंधन के सरकार बनने का दावा किया. दूसरी तरफ देश के न्यूज़ चैनलों ने 2024 आम चुनाव के एक्जिट पोल का प्रसारण शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने इन एक्जिट पोल के बहिष्कार के फैसले को पलटते हुए ऐलान किया है कि इंडिया गठबंधन के प्रवक्ता इन एक्जिट पोल में हिस्सा लेंगे और बीजेपी को बेनकाब करेंगे,

एक तरफ  मीडिया के जरिए बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने का नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश कर रही है, सत्ताविरोधी लहर के बावजूद भारी बहुमत से जीत का परसेप्शन बनाने की इस कोशिश को षड़यंत्र के रूप में भी देखा जा रहा है.

दूसरी तरफ सातवें चरण के लिए हो रहे मतदान में कई जगह धांधली की भी खबरें आ रही हैं, यूपी में वाराणसी, आजमगढ़,गाजीपुर समेत कई जगह पर ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायतें हैं.

 चंडीगढ़ में कड़ी धूप में घंटों खुले आसमान के नीचे मतदाताओं को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा.

गंभीर बात ये है कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जिलों के कलेक्टरों को धमकाने या प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने सरकारी अफसरों से बाज आने को कहा है. जयराम रमेश ने कहा है कि अब तक 150 जिला कलेक्टरों से बात हो चुकी है.

जाहिर है कि तानाशाह को अपने पैरों तले ज़मीन और कुर्सी खिसकती नज़र आ रही है. लिहाजा मतदान संपन्न होने से कुछ घंटे पहले कन्याकुमारी से नरेंद्र मोदी दिल्ली को रवाना हो गए हैं.

मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ियों के कारण और फॉर्म 17 सी समेत आंकड़ों को सार्वजनिक करने से इंकार को लेकर  चुनाव आयोग की साख को गहरा धक्का लगा है. 

सबसे अहम बात ये है कि पहले तीन चरणों में अंतिम वोटर प्रतिशत में 5 से 6 फीसदी की बढ़ोत्तरी यानि 1 करोड़ 7 लाख मतदाताओं का बढ़ना संदेह पैदा कर रहा है.

 पहली बार ऐसा हुआ है कि  पहले चरण का अंतिम वोटर प्रतिशत जारी करने में 11 दिन की देरी और दूसरे चरण में चार दिन के विलंब हुआ है. 

इसके बावजूद अंतिम वोटर संख्या बताने और फॉर्म 17-सी को आयोग की साइट पर डालने को लेकर इंकार ने इस संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर बट्टा लगाया है. पहले अंतिम वोटर संख्या वोटर प्रतिशत के साथ-साथ दो दिन के भीतर जारी किए जाते रहे हैं.

इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि हर आम चुनाव में कुल पंजीकृत वोटरों की संख्या हमेशा बढ़ती रही है. लेकिन इस बार चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 115 सीटों पर 2019 के मुकाबले वोटरो की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है.

हर आम चुनाव से पहले इलेक्टोरल रोल में नए मतदाताओं को जोड़ा जाता है, वहीं उस संसदीय क्षेत्र से जाने वाले  या जिनका देहांत हो गया है, उन मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि बीजेपी-आरएसएस ने आयोग के साथ मिल कर बड़ी तादाद में विपक्षी दलों के समर्थक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से उड़ा दिए हैं.

ऐसे में शंका व्यक्त की जा रही है कि एक तरफ चुनाव आयोग हर तरीके से बीजेपी को जिताने में मदद कर रहा है तो दूसरी तरफ बीजेपी शासित राज्यों में प्रशासन खुल कर बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए मतदाताओं पर दबाव बना रहा है.

सातवें चरण के मतदान में बीजेपी को भारी नुकसान होता दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश मानते हैं कि बीजेपी साउथ में साफ और नॉर्थ में हॉफ

सात चरणों के चुनाव में पहले चरण से ही मतदाताओं के उत्साह में कमी देखी गई. समझा जा रहा है कि बेरोजगारी,महंगाई और मोदी सरकार की नीतियों को लेकर गहरी निराशा है. जबकि बीजेपी भावनात्मक मुद्दों पर वोटिंग होने पर ही हमेशा सत्ता में आई है. 

इस बार कांग्रेस जनता के मुद्दों को लेकर लगातार आक्रामक रही और बीजेपी को कांग्रेस की बिछाई बिसात पर ही आना पड़ा. दूसरी तरफ बीजेेपी और मोदी सरकार के पास जनता को लुभाने का कोई ठोस मुद्दा नहीं था. लिहाजा नरेंद्र मोदी का पूरा प्रचार नकारात्मकता से भरा रहा.   

निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले दिन से घृणा पर आधारित चुनाव प्रचार करते नज़र आए. 

पांचवे चरण में तो मोदी अपने अमीर आकाओं को मदद के लिए पुकार उठे, उन्होंने कहा कि अंबानी-अडानी कांग्रेस को टैंपो में भर-भर कर काला धन दे रहे हैं..

छठे चरण में उन्हें कहना पड़ा कि वो बॉयोलॉजिकल नहीं है, वो अजर,अमर और अविनाशी हैं.

सातवें चरण में तो उनकी बौखलाहट क्रोध में बदल गई. लगभग फुंफकारते हुए उन्होंने कहा कि “इंडिया गठबंधन वालों!! मुझे समझने में गलती मत करना.. मैं जब मुंह खोलुंगा तो सात पीढ़ियों के पाप सामने रख दूंगा.

राजनीति की समझ रखने वालों का मानना है कि जनता से नकार दिए जाने के बाद भी शांति से सत्ता हंस्तांतरण की उम्मीद कम ही नज़र आती हैं.  

संसद की सुरक्षा की अधिकांश जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौप दी गई है और हाल ही में सुरक्षा संबंधी ड्रिल करवाई गई है. संसद के गलियारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पार्लियामेंट सिक्यटोरिटी सर्विस से लिए जाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं.

सोशल मीडिया में इस बात को लेकर ईश्वर से प्रार्थना की जा रही हैं कि सत्ता से जाते-जाते मोदी लोकंतंत्र विरोधी दुस्साहसी कदम न उठाएं.

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