प्रधानमंत्रीजी!! अमेठी याद करने के बजाय आज मणिपुर याद क्यों नहीं करते..

 

अडानी के धंधे के लिए खूनी खेल कब तक खेले जाएंगे मोदीजी !!

प्रधानमंत्री जी आप कांग्रेस पर जनता की संपत्ति ने बांटने का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन आपकी बांटो और राज करो की सियासत ने तो मणिपुर को हमेशा-हमेशा के लिए दो हिस्सों में बांट दिया है.

  मणिपुर एक साल बाद आज भी हिंसा,आग और नफरत की आग में झुलस रहा है मणिपुर. ठीक एक बरस पहले 3 मई, 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा में  लगभग 250 लोगों की मौत हो चुकी है. जिनमें 20 से ज्यादा महिलाओं और 8 से ज्यादा बच्चों की अब तक शिनाख्त हो पाई है. 1500 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैंं.  58 हज़ार लोग शरणार्थी शिविरों में नारकीय जिंदगी बिताने को मजबूर हैं. और हिंसा की आग अब तक थमी नहीं है. कल तक आपसे में प्यार-मोहब्बत से रहने वाले मैतेई-कुकी समुदायों में अंतरजातीय विवाह करने वाले कई दंपति अलग-अलग रहने को मजबूर हैं. 

 मोदीजी आपको याद होगा कि आपके मातहत सीबीआई ने बताया है कि राज्य में बीजेपी सरकार की पुलिस खुद उन महिलाओं को लेकर जाकर हजारों की भीड़ के बीच छोड़ कर चली गई थी, जिन्हें बगैर कपड़ों के घुमाया गया और फिर सामूहिक बलात्कार किया गया. 

मोदीजी आपकी मदर ऑफ डेमोक्रेसी में नारी के अपमान और यौन हिंसा की घटना पर आपको छोड़ पूरी दुनिया शर्मिंदा हुई थी.

अगर आप शर्मिंदा होते तो सामूहिक यौन हिंसा करने वाले  प्रज्वल रेवेन्ना को ना तो एनडीए से टिकट देते ना ही उसके लिए वोट मांगते.  आपने विजय माल्या, नीरव मोदी, और मेहुल चौकसी की तरह रातोंरात देश से भाग जाने का पूरा मौका दिया.

अगर मां-बहनों के लिए आपके अंदर ज़रा भी सम्मान भाव होता तो आप उन महिला पहलवानों के साथ यौन हिंसा के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह के बेटे को टिकट ना देते, जिन बच्चियों के मैडल लाने पर फोटो खिंचवा कर आपने वाहवाही और वोट लूटे थे. 

सत्ता में बने रहने के लिए आप यौन-हिंसकों के साथ खुल कर खड़े होने से कतई गुरेज नहीं करते हैं प्रधानमंत्री जी.

मणिपुर में सामूहिक बलात्कार और नंगा करके परेड कराई गई महिलाओं में से एक करगिल की जंग लड़ने वाले सैनिक की पत्नी थी. 

लेकिन सैनिक की वर्दी पहन कर, राष्ट्रवाद, पाकिस्तान और घर में घुस कर मारने की बात करने वाले और उनकी शहादत के नाम खुल कर वोट मांगने वाले प्रधानमंत्री को मगर शर्म आती नहीं.

 दरअसल मणिपुर में नफरत की आग के पीछे अडानी का धंधा है. प्रधानमंत्रीजी.

क्या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पूर्वोत्तर की यात्रा के दौरान जनजातियों में बढ़ते मेलजोल को खत्म करने के लिए नफरत की इस आग को सुलगाया गया था?

 

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से पीएम मोदी ने क्यों नहीं मांगा इस्तीफा, क्यों नहीं पूछा कि आपने राजधर्म का पालन क्यों नहीं किया.

आपने मणिपुर को देश का दूसरा गोधरा क्यों बना दिया प्रधानमंत्रीजी?

एकसाथ सैकड़ों लाशों के अंतिम संस्कार की ड्रोन से ली तस्वीर देख कर गर्व की अनुभूति तो नहीं हुई होगी मोदी जी !!

मेरा गुजरात जल रहा है के आपके मशहूर डॉयलॉग वाली अपनी फिल्म बना कर सहानुभूति बटोरनेे वाले मोदीजी आपके मुंह क्यों नहीं निकला कि  मेरा मणिपुर जल रहा है.

मोदीजी को अडानी के धंधे के लिए किसी भी हद तक जाना मंजूर है…

मणिपुर का कुसूर यही था कि वहां की पहाड़यों में प्लेटिनम की खदानें पाई गईं है!! जैसा सांसदों की फैक्ट फाइंडिंग टीम  के सदस्य सांसद बिनोय विस्वम ने मणिपुर से लौट कर बताया. वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर यही खुलासा किया था. 

कुकी-जो जनजाति का कुसूर यही था कि वो उन पहाड़ियों मेें रहते हैं और प्रकृति को अपना रक्षक मानते हैं

मैतेई उग्रवादियों ने मणिपुर और आसपास के थानों से पांच हजार से ज्यादा हथियारों,कारतूस और गोला-बारूद की लूट के पीछे कुकी-जो को पहाड़ियों से भगाने का मकसद था.

पहले से ही तकलीफों से गुजर रहे कुकी-जो समुदाय को  अब नशे और हथियारों की तस्करी के नाम पर आतंकित किया जा रहा है.

मेतैई समुदाय को आरक्षण देने की अदालती सिफारिश तो एक बहाना था. दरअसल कुकी-जो को हटा कर अडानी को वहां बसाना था ?

अडानी के धंधे के लिए और कितने खूनी खेल खेले जाएंगे प्रधानमंत्री जी !!

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