प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की चुनावी रैली में कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि अंबानी-अडानी ने टैंपो भर-भर कर कांग्रेस को पैसे पहुंचाए हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि पीएम मोदी अपने उन्ही मित्रों पर ये आरोप लगा रहे हैैं, जिनके लिए उन्होंने अपने दस साल का पूरा कार्यकाल समर्पित कर दिया.
कांग्रेस से सवाल पूछने से पहले पीएम मोदी को इस बात का जवाब देना होगा कि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने अपने दो मित्रों के अरबों के व्यावसायिक सौदे के लिए जनता के खून-पसीने की कमाई से विदेश यात्राएं करने के साथ भारत के प्रधानमंत्री पद की साख का इस्तेमाल क्यों किया.
खबरों के मुताबिक अपने दोनों मित्रों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने 355 करोड़ रुपए के खर्च से 44 मौकों पर 52 देशों की यात्रा की औऱ 165 दिन विदेश में बिताए. इस दौरान मोदी मित्रों ने 16 देशों में 18 व्यावसायिक समझौते किए. जिनमें से 13 अडानी समूह ने और पांच करार अनिल अंबानी की कंपनी ने दस्तखत किए.
2014 से 2019 के बीच मोडानी की कंपनियों के ये व्यावसायिक समझौते रक्षा,लॉजिस्टिक, प़ॉवर और आयात के क्षेत्र में पीएम मोदी की राजनयिक यात्राओं के दौरान अंतिम रूप दिया गया और इकरारनामें पर दस्तखत हुए.
रक्षा क्षेत्र –
फ्रांस- प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस का दो बार दौरा किया. अनिल अंबानी की डिफेंस कंपनी बनने के 12 दिन बाद मोदी 28 मार्च, 2015 को फ्रांस पहुंचे. और 36 राफेल विमान खरीदने का ऐलान हो गया. फिर 2017 में दो जून को दिन के लिए अनिल अंबानी को साथ लेकर फ्रांस आए. इसी दौरान 58 हजार करोड़ में हुई इस डील की फाइल को लापता बताया जा रहा है. विपक्ष का आरोप है कि जिस खर्चे में 126 विमान तकनीक के हस्तांतरण के साथ होनी थी, वो सिमट कर 36 राफेल विमानों पर रह गई. वहीं पहली खेप के 2019 में भारत पहुंचना तय हुआ. बदले में सरकारी क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड को दरकिनार कर अंबानी की कंपनी को विमानों की मरम्मत-रखरखाव का ठेका दिया गया.
स्वीडेन – इसी तरह स्वीडेन में 22 मार्च, 2015 को अंबानी के साथ पीएम मोदी पहुंचे. यहां स्वीडेन की डिफेंस कंपनी Saab AB से ड्रोन्स को लेकर समझौता हुआ. इसके बाद 13 फरवरी 2016 को स्वीडेन के पीएम दिल्ली आए., तब Saab AB ने अडानी की कंपनी से सिंगल इंजन फायटर प्लेन भारत में बनाने के लिए 60 हजार करोड़ का समझौता किया.
इज़रायल – में तो दो दिन के भीतर अपने दोनों दोस्तों के बिजनेस डेवलप कर दिए गए. 29 मार्च, 2016 को अंबानी,30 मार्च,2016 को अडानी के साथ इज़रायली कंपनियों का करार साइन हुआ. अडानी ने अनमैन्ड एयरक्रॉफ्ट के विकास के लिए तो अंबानी की रिलायंस डिफेंस ने एय़र टू एयर मिसाइल विकसित करने के लिए 65 हजार करोड़ का व्यावसायिक समझौता किया. इसके साल भर बाद मोदी ने 4-6 जुलाई,2017 को इज़रायल की यात्रा भी की.
रूस-
रूस की यात्रा पर पीएम मोदी 8-10,जुलाई 2015 को गए. उनकी यात्रा के वक्त रूस की डिफेंस कंपनी Almaz-Antey ने रिलायंस डिफेंस से 6 बिलियन डॉलर की डील पर बातचीत का ऐलान कर दिया. बाद में 22-23 दिसंबर 2015 को अंबानी के साथ मोदी फिर मास्को पहुंचे. यात्रा के बाद 24 दिसंबर,2015 को अंतिम समझौते का ऐलान किया गया. वहीं दो साल के बाद 31 मई,2017 से तीन दिन की यात्रा पर मोदी रूस पहुंचते हैं और रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन की 6 अक्टूबर,2018 को भारत यात्रा के दौरान बिजनेस डील का ऐलान होता है.
अमेरिका – वहीं पीएम मोदी अनिल अंबानी को लेकर 6 जून, 2016 को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका पहुंचते हैं. 13 फरवरी, 2017 को गुजरात में अबानी के शिपयार्ड में अमेरिकी सेना के सेवेंथ फ्डीलीट की मरम्मत के लिए करीब15 हजार करोड़ के एग्रीमेंट का एनाउंसमेंट होता है.
लॉजिस्टिक्स
जापान- लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में हम दो-हमारे दो के तहत नरेंद्र मोदी पहली बार पीएम बनते ही 30 अगस्त को चार दिन की यात्रा पर अडानी के साथ जापान पहुंच गए. इस डील का ऐलान 16 जुलाई,2018 को हुआ.
ऑस्ट्रेलिया- इसके बाद जी-2 सम्मिट के मौके पर 14 नवंबर को चार दिन के लिए गौतम अडानी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को भी लेकर ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए. यहां अडानी के लंबे-चौड़े कारोबार में चांद तब लग गए, जब क्वींसलैंड सरकार से कोयला खदानों जुड़े 6 हज़ार 200 करोड़ के करार पर दस्तखत हुए. मौके पर मौजूद अरुंधति भट्टाचार्य ने वहीं टेबल पर बैठे-बैठे अडानी की तरफ से बैंक गारंटी भी दे दी. हाथोंहाथ 16 नवंबर,2016 को डील के पेपर भी हाथ आ गए.
ईरान- अगले साल मोदीजी ने ईरान में भी अडानी को काम दिलाया. यहां अडानी को लेकर 22 मई, 2016 को दो दिन के लिए आए. यहां चाबहार पोर्ट के लिए अडानी के टेंडर के शॉ़र्टलिस्ट होने की खबर 7 दिसंबर,2017 को सामने आई.
मोजांबिक- जैसे छोटे देश में भी मोदीजी के प्रभाव से वहां जाए बगैर ही 19 अक्टूबर,2015 को दाल के आयात की डील अडानी को मिल गई. इस रिश्ते को निभाने के लिए अगले साल जुलाई,2016 को अडानी को साथ लेकर मोजांबिक भी पहुंच गए.
ओमान में भी पीएम मोदी की कृपा से अडानी को धंधा मिला. यहां 11 फरवरी,2018 को मोदी अडानी को लेकर दो दिन के लिए आए. यहां भी अडानी के बंदरगाह और स्पेशल इकॉनॉमिक जोन से जुड़ा धंधा मिला.
पॉवर-
बांग्लादेश- वहीं पॉवर के क्षेत्र में भी मोदीजी ने अपने दोनों मित्रों की पॉवर बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वो दोनों को लेकर 6 जून, 2015 को दो दिन के लिए बांग्लादेश पहुंच गए. यहां तो पहले ही दिन डील साइन हो गई. अगले दिन डील का जश्न चला.
पाकिस्तान- मज़े की बात ये है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में दोनों मुल्कों के बीच अमन और दोस्ती के लिए लाहौर तक सदा-ए-सरहद से यात्रा की थी, वहीं पीए मोदी की क्रिसमस के दिन,2015 को हुआ औचक दौरा धंधे की गर्मजोशी से भरा था. पाक पीएम नवाज़ शरीफ के घर अडानी को साथ ले गए थे. इससे दो महीने पहले अडानी के नुमाइंदे नवाज़ शरीफ से मिल चुके थे. नवाज़ ने पाक एसेबंली को इस बात की जानकारी 13 अक्टूबर को ही दे दी थी. मनेकि पाकिस्तान भी मोदी की मोहब्बत में छिपे बिजनेस डेवलपमेंट परपज़ को समझ चुका था.
धंधे के लिए कुछ भी करेगा….
म्यांमार- मोदी दो दिन के दौरे पर 6 दिसंबर,2017 को म्यांमार भी पहुंच गए. उन्होंने यहां, टेलीकॉम,सड़क,बिजली औऱ कृषि ढांंचे के विकास के लिए 500 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन देने का प्रस्ताव दिया. वहीं अडानी ने म्याामार को पॉवर सप्लाई का भी प्रस्ताव दिया. यहां अडानी समूह ने एक बंदरगाह भी विकसित किया, जिसे हाल ही में अमेरिका केे दबाव के कारण घाटे में बेचना पड़ा. अडानी के बेटे करण अडानी के यहां सैनिक जुंटा प्रमुख मिन आंग हलिंग से मुलाकात की खबर के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अडानी पर दबाव बढ़ गया था.
चीन – पहली बार पीएम बनने के साल भर बाद 14 मई,2015 को दो दिन के लिए अडानी के साथ पीएम मोदी चीन भी गए. यहां शंघाई में भी अडाननी के मूंदज़ा एसईजेड में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने का करार हुआ. साथ ही चाइना डेवलपमेंट बैंक से वित्तीय सहयोग को लेकर भी एक समझौता हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में अंबानी और अडानी के बिजनसे डेवलपमेंट मैनेजर की भूमिका में ज्यादा नज़र आए.
नरेंद्र मोदी जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने दो कार्यकाल अपने दो मित्रों के व्यावसायिक हितों के लिए समर्पित किए, उन्हेंं बताना चाहिए कि अंबानी-अडानी उनके बजाय कांग्रेस को टैंपो भर कर पैसा क्यों पहुंचा रहे हैं. और जानकारी होने के बावजूद इन दोस्तों के खिलाफ ईडी,सीबीआई और इंकम टैक्स को पीछे ना लगाने में क्या मजबूरी है.