अब बीजेपी वाशिंग मशीन में धुलेंगे अडानी….!!
अडानी समूह में सेबी के नियमों का उल्लंघन कर निवेश करने वाली एक दर्जन ऑफशोर फंड्स में से 8 कंपनियों ने जुर्माना ले कर दोषमुक्त करने की गुहार लगाई है..
अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सेबी ने अडानी समूह की जांच में पाया है कि इन कंपनियों ने डिस्क्लोज़र रेगुलेशन और निवेश सीमा से जुड़े नियमों को बलाए ताक पर रख कर अडानी समूह में पैसा लगाया है.
रॉयटर्स ने अगस्त माह में अपनी रिपोर्ट में पाया था कि सेबी अडानी और एक ऑफशोर फंड्स के रिश्तों की जांच कर रही है. एक शॉर्टसेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि दो फंड – मावी इन्वेस्टमेंट फंड( अब एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड लिमिटेड) और लोटस ग्लोबल इन्वेस्टमेंट लिमिटेेड भारत में जांच के दायरे में थीं.
सूत्रों के मुताबिक सेबी ने इस साल की शुरुआत में अडानी समूह से जुड़ी एक दर्जन ऑफशोर कंपनियों को नोटिस जारी कर उनसे डिस्क्लोज़र और निवेश सीमा से जुड़ी जानकारी मांगी थी. सूत्रों के मुताबिक ये कंपनियां निजी तौर पर निवेश से जानकारी दे रही थीं, लेकिन सेबी ने उनसे समूह के स्तर पर निवेश की जानकारी मांगी थी. सेबी की जांच में पाया गया था कि तेरह कंपनियों ने अडानी समूह में निवेश से जुड़ी जानकारियां छिपाई हैं.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से आठ कंपनियों ने अपना कसूर माने बगैर सेबी से गुजारिश की है कि उनसे जुर्माना ले कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया जाए.
खबरों के मुताबिक सेबी और अडानी समूह ने इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.
इससे पहले फाईनेंशियल टाइम्स ने दावा किया था कि हाल के वर्षों में कुल प्रत्यक्ष निवेश निवेश का लगभग आधा हिस्सा गौतम अडानी परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों से आया है. अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों ने 2017 से 2022 के बीच कम से कम 2.6 बिलियन डॉलर यानि दो खरब, 16 अरब, 72 करोड़ 31 लाख 20 हज़ार रुपए ( 2,16,72,31,20,000) का निवेश किया, जिसमें ज्यादातर हिस्सा फर्जी कंपनियों सेे आया है. फायनेंशियल टाइम्स ने अडानी समूह की कानूनी कार्रवाई की धमकी पर खबर हटाने सेे इंकार कर दिया था और कहा था कि हम अपनी रिपोर्ट पर कायम हैैं.
फायनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट से ही खुलासा हुआ था कि अडानी समूह इंडोनेशिया से कोयला खरीद कर भारत में लगभग दोगुने दाम पर बेचा .
तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि महंगे कोयले के नाम पर महंगी बिजली बेची गई है और जनता की जेब से 12 हज़ार करोड़ निकाल कर अडानी को दे दिया गया.
This has to be investigated thoroughly and the culprits be brought to book. This glaring example of corrupt practices in Adani group shows the government in bad light and perhaps hand in glove with the Adani group.I doubt if free and fair probe would be done and the matter would be pushed under the carpet and the government would just sleep over it.