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तीन चरणों का मतदान -फर्जी वोटों से कैसी शान

कत बिधि सृजीं नारि जग माहीं - पराधीन सपनेहु सुख नाहीं महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी उपरोक्त पंक्तियों में जहां महिलाओं की तत्कालीन परिस्थितियों को दर्शाते हैं वहीं मुझे लगता है