26 अप्रेल,2024 को दूसरे चरण के मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक औऱ धक्का लगा है. देश के 13 राज्यों में हुए मतदान में भारतीय जनता पार्टी की अपनी वो सीटें बचाने की भी उम्मीद नहीं बची है, जहां पिछले चुनाव में काबिज हो गई थी.
जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, बिहार, यूपी,एमपी, छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र,असम, त्रिपुरा, मणिपुर, प.बंगाल,कर्नाटक औऱ केरल इन तेरह राज्यों की 89 सीटों में से 88 सीटों पर सीटों पर मतदान हुआ. चुनाव आयोग नेे शाम सात बजे तक औसत लगभग 61 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया है. जबकि पिछली बार दूसरे चरण में औसतन 70 फीसदी वोटिंग हुई थी. यानि तीन में से एक मतदाता ने वोट नहीं डाला. और तो और एक आकलन के मुताबिक बीजेपी के हर चौथा मतदाता पोलिंग बूथ नहीं पहुंचा.
बीजेपी -मोदी को लिए परेशान करने वाली बात ये भी है कि शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक वोटर टर्न -ऑउट में 9 फीसदी का बदलाव आय़ा है.
सबसे पहले वोटिंग प्रतिशत से ही अनुमान लगाया जाए तो साफ है कि दूसरे चरण में पहले राउंड के मुकाबले पांच फीसदी वोटिंग कम हुई है.
पहले फेज़ में शाम पांच बजे तक जहां 57 फीसदी वोटिंग हुई थी, वही इस चरण में 53 फीसदी वोटिंग भी नहीं हो पाई है.
वहीं, बीजेपी और पीएम मोदी की टेंशन बढ़ाने वाली बात ये है कि ज्यादातर उन सीटों पर मतदान कम हुआ हैै, जहां 2019 के आम चुनाव में बीजेपी काबिज हुई थी.
यूपी, बिहार, और एमपी में समेत हिंदी भाषी राज्यों मे कम वोटिंग होना और उत्तर-पूर्व के राज्यों में 75 फीसदी से ज्यादा वोटिंग होना एक खास संकेत देता है.
कम मतदान की वजह मोदी सरकार से हताशा समझा जा रहा है. कम से कम हिंदी भाषी राज्य जहां बीजेपी ने 2019 में अपनी अधिकतम कामयाबी हासिल की थी, वहां कम मतदान होना बताता है कि बीजेपी समर्थक मतदाता इस बार भी उदासीन रहा. जबकि पीएम मोदी अपनी हर रैली में जनता से वोट ज़रूर डालने के लिए आगाह करते रहे.
राजस्थान की 25 में से 25 सीटें 2019 के चुनाव के बाद बीजेपी के पास है. हालांकि इस बार आरएलपी के हनुमान बेनीवाल इस बार इंडिया गठबंधन के साथ हैं. लेकिन राजस्थान में दूसरे चरण की इन 13 सीटों पर 2019 में औसत वोटिंग पर्सेंट 68.46 रहा था. इसबार 5 बजे तक यह आंकड़ा 59.19% रहा. जाहिर है कि मतदाताओं में उदासीनता का भाव है.
बिहार- दूसरे राउंड में यहां बांका, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया की पांच सीटों पर वोटिंग हुई. 2019 में इनमें से 4 पर JDU ने जीत हासिल की थी. 2019 में इन 5 सीटों पर औसत वोटिंग पर्सेंट 63.04 रहा था. इस बार इन सीटों पर शाम 6 बजे तक 58.58% वोटिंग हुई.
यहां तक की यूपी की सीटों पर दूसरे चरण में हुए मतदान में कमी एक साथ बहुत सी बातें साफ कर देती हैं. मसलन
-राम मंदिर की लहर बनाने में बीजेपी में नाकाम,
-सांप्रदायिक उभार में भी जनता की दिलचस्पी नहीं
-बीजेपी के पास उम्मीद जगाने वाला कोई भी वादा नहींं
– 2014 और 2019 में किए वादे जुमले ही साबित हुए
-बेरोजगारी,महंंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर बीजेपी से हताशा
-बीजेपी के सांसदों,और स्थानीय नेतृत्व के प्रति नाराजगी
माना जा रहा है कि बीजेपी का हर चौथा समर्थक मोदी सरकार से नाराज़ है. वहींं, सपा और कांग्रेस का वोट क़ायम है. बीएसपी में मामूली गिरावट है लेकिन वो बीजेपी को ट्रांसफर नहीं हो रहा है. किसान नेता और सेफॉलॉजिस्ट योगेंद्र यादव का कहना है कि
“अगर 2019 में बीजेपी के वोट का दसवां हिस्सा भी खिसक कर सपा कांग्रेस को मिल गया तो उसे 20 सीट का नुक़सान हो सकता है। अगर इससे ज़्यादा टूट गया तो परिणाम पूरी तरह से उलट जाएगा”
अगर महाराष्ट्र की बात करें तो दूसरे चरण में महाराष्ट्र की 8 सीटों पर वोट डाले गए. 2019 में इन 8 सीटें में से चार अविभाजित शिवसेना ने, तीन बीजेपी ने और 1 सीट निर्दलीय ने जीती थी. 2019 में इन 8 सीटों पर 62.86% वोटिंग हुई थी. इस बार 5 बजे तक यह आंकड़ा 53.51% रहा.
वहीं, कर्नाटक में 13 सीटों पर मतदान हुआ. 2019 में बीजेपी ने इन 13 में से 12 सीटों पर काबिज हुई थी 2019 में इन सीटों पर औसत वोटिंग 70.48% रही थी जबकि इसबार 5 बजे तक यह आंकड़ा 63.90% रहा.
कुल मिला कर अगर दूसरे चरण के मतदान के बाद राजनीतिक स्थिति का आकलन करें तो मतदाता
- पीएम मोदी के झूठ, लफ्फाज़ी और पाखंड ले आजिज आ चुका है
- पीएम मोदी के वंशवाद औऱ भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष पर आरोपों से जनता का यकीन उठ चुका है.
- नेताओं के परिवारजनों को टिकट देने से समर्थकों के बीच बीजेपी की साख खत्म हुई
- अपने भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई तो दूर, दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को पार्टी में शामिल करने से नाराज़गी
- पार्टी, गठबंधन में शामिल हुए भ्रष्ट नेताओं के अपराधों को ठंडे बस्ते में डाल देने से भ्रष्ट नेतृत्व बेनकाब
- इलेक्टोरल बांड के जरिए हुए भ्रष्टाचार से पीएम मोदी का फकीर वाला दावा साबित हुआ धोखा
- पीएम मोदी के दोहरे आचरण से मुस्लिम विरोधी ध्रुवीकरण की कोशिश नाकाम
- 400 पार का अहंकार भरा ऐलान भी पीएम मोदी और बीजेपी को भारी पड़ रहा है
- कांग्रेस के खातेबंदी, हेमंत सोरन-अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, विपक्ष को धमकाने की कोशिश,
- देश भर में नफरत औऱ डर का माहौल और ईडी,सीबीआई और इंकम टैक्स का राजनीतिक इस्तेमाल
- बेरोजगारी और महंगाई से देश के बदतर होते हालात
इसी वजह से जानकारी दूसरे चरण की 88 सीटों पर मतदान के बाद बीजेपी को पचास से अधिक सीटों की उम्मीद नहीं कर पा रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस के न्यायपत्र 2024 ने मतदाताओं में नई उम्मीद जगाई है.
-युवा न्याय के जरिए तीस लाख सरकारी नौकरियों की गारंटी, फ्रेशर्स के लिए एक लाख रुपए स्टाईपेंड के साथ एप्रेंटिसशिप, एजुकेशन लोन माफी,
-नारी न्याय के जरिए महिलाओं को हर माह आर्थिक मदद, नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण
-श्रमिकों के लिए 400 रुपए मिनिमम वेज गारंटी (मनरेगा में भी), शहरी मनरेगा, गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा
-किसानों के लिए एमएसपी का कानूनी वादा, जीएसटी मुक्त खेती,फसल नुकसान-तुरंत भुगतान, कर्जमाफी आय़ोग
– हिस्सेदारी के तहत आर्थिक-सामाजिक जनगणना से विषमता दूर करने की योजनाएं
दिलचस्प बात ये है कि पीएम मोदी ने मुसलमान और मंगलसूत्र जैसे झूठे बयान दे कर कांग्रेस के संदेश को गांव-गांव पहुंचा दिया.
पहली बार मतदाता मोदी और मुसलमान के बजाय मैनीफेस्टो पर मतदान कर रहे हैं. डॉउनलोड कर रहे हैं, डिस्कसन कर रहे हैं.
वहीं पीएम मोदी मैनीफेस्टों के साथ-साथ राहुल गांधी को केंद्र में रख कर प्रचार कर रहे हैं. लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है…