पेपर लीक ही नहीं, मोदी सरकार के फेल होने पर सवाल है…

 

           आज बिहार में NEET के पेपर लीक होने और राजस्थान से परीक्षा केंद्रों पर NEET परीक्षा के प्रश्नपत्रों के गलत सेट बांटे जाने की भी शिकायतें आई हैं.

पेपर लीक की इस खबर ने 24 लाख युवाओं के हौसलेे को तोड़ने का काम किया है. पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा ने NEET के पेपर लीक की पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और इस सिलसिलेे में छापेमारी जारी है. हालांकि NEET की वरिष्ठ अधिकारी साधना पाराशर ने कहा है कि कई राज्यों से 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों को पकड़ा गया है. NEET ने सफाई दी है कि पेपर चार बजे के बाद इंटरनेट पर लीक हुआ तब तक परीक्षा शुरू हो चुकी थी. कुल मिला कर NEET मानने को तैयार नहीं है कि पेपर लीक हुआ है. तकलीफ की बात ये है कि NEET की इस सफाई पर किसी भी राष्ट्रीय मीडिया ने सवाल भी नहीं उठाया है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कि होनहार युवाओं समेत सभी के लिए ये मोदी सरकार अभिशाप बन चुकी है. उन्होंने अपने ट्वीट पर लिखा है कि युवा और उनके परिवार समझ चुके हैं कि जुबान चलाने औऱ सरकार चलाने में फर्क होता है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कहा कि बेरोजगारी औऱ नौकरियों में भ्रष्टाचार इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है.

          पेपर लीक के साथ-साथ  बड़ा सवाल मोदी सरकार की साख का है. क्योंकि पिछले 7 वर्षों में, 70 से अधिक पेपर लीक हुए हैं। राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड से पेपर लीक के मामले लगातार सामने आए हैं. लेकिन बीजेपी की डबल इंजन की सरकारों ने युवाओं के भविष्य से लगातार हो रहे खिलवाड़ को न्यू नॉर्मल बना दिया है.

   पीएम मोदी के दस साल के शासन काल में हुई पेपर लीक की घटनाओं से  2 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों का भविष्य बर्बाद हुआ है. कई राज्यों में पेपर लीक को लेकर कानून होने के बावजूद पेपर लीक हो रहे हैं.

   राजस्थान में 14- और 15 मार्च को इसी साल हुई एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी)  ने इसके सरगना पर एक लाख का ईनाम भी रखा है. इस गिरोह ने बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हुई प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर आउट कराया है। इसके जरिये उन्होंने करोड़ों रुपये की संपत्तियां भी अर्जित की हैं, जिनके बारे में अब ईडी पता लगा रही है

     बिहार में इसी 15 मार्च को शिक्षक भर्ती परीक्षा में 3.75 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। कुछ ही दिनों में पेपर लीक की वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी. 

      उत्तर प्रदेश  में ही इस साल फरवरी माह में तीन पेपर लीक की घटनाएं सामने आईं. यूपी में फरवरी माह में सबसे पहले आरओ औऱ एआरओ भर्ती परीक्षा, फिर पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा और उसके कुछ दिन बाद 29 फरवरी को आगरा में इंटरमीडिएट, गणित और जीव विज्ञान का भी पेपर लीक हुआ था.

 यूपी पीसीएस की आयोजित आरओ और ओआरओ परीक्षा 11 फरवरी को थी, लेकिन दस तारीख को ही व्हॉट्स अप पर पेपर लीक हो गया. मामले की जांच तीन सदस्यों की आंतरिक समिति कर रही है. 

17-18 फरवरी को यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने पर सरकार ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया था. इसमें 60 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी सम्मिलित हुए थे. पहले तो सरकार पेपर लीक मानने को तैयार नहीं थी, लेकिन कई दिन अभ्यर्थियों केे आंदोलन के बाद योगी सरकार को इसे रद्द करना पड़ा.

  वहीं 29 फरवरी को बारहवीं क्लास के जीव विज्ञान और गणित की परीक्षा का पेपर भी व्हॉट्स अप पर लीक हो गया. इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारियां भी  हुईं.

       प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दस साल के अन्याय काल में सबसे ज्यादा अन्याय युवाओं को सहना पड़ा.  जहां पीएम मोदी और बीजेपी इस मामले को नज़र अंदाज करने की सियासत कर रही है, वहीं,  कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया.

                                                       अपने न्याय पत्र में कांग्रेस ने युवा न्याय के तहत पांच गारंटियों में शामिल किया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि पेपर लीक में शामिल अपराधियों को सिर्फ़ सज़ा देना पर्याप्त नहीं है। हमारा लक्ष्य किसी भी पेपर को लीक होने से रोकना है”. उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि “हमारे कानून पेपर-आधारित और कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं के लिए – पेपर सेटिंग, प्रिंटिंग, परिवहन, प्रशासन और निरीक्षण से लेकर परीक्षा की प्रक्रिया के हर चरण में ईमानदारी और निष्पक्षता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करेंगे”

एक तो बेरोजगारी की मार, ऊपर से पेपर लीक का अत्याचार. देश में हर दस में से आठ से ज्यादा युवा बेरोजगार है. सरकारी नौकरियां खत्म कर दी गई हैं. निजी क्षेत्र में छंटनी का माहौल है. फिर भी युवा अपने सपनों के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन पीएम मोदी और बीजेपी नौजवानों को भरमाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पकोड़े

चुनाव के तीसरे चरण तक मोदी और बीजेपी ने जनता और खासकर युवाओं से जुड़े मुद्दों पर मुंह नहीं खोला है. ऐसे में कांग्रेस का युवा न्याय देश के नौजवानों के लिए एक उम्मीद की किरण बन कर आया है.

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