न्याय के लिए कांग्रेस को करना पड़ेगा अनिश्चित काल तक इंतज़ार ?
हरियाणा की बीस विधानसभा सीटों पर गड़बड़ियों की शिकायत लेकर कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात की. मतगणना के समय लाई गई ईवीएम मशीनों की बैटरी का 99 फीसदी चार्ज होने की सबसे ज्यादा शिकायतें है. वही, प्रत्याशियों के वीवीपैट पर्चियों के मिलान के निवेदन को भी रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा ठुकराने का मुद्दा उठाया गया. कांग्रेस ने सात विधानसभा सीटों से जुड़ी शिकायतें दस्तावेजों के साथ चुनाव आयोग के सामने रखी हैं. वहीं तेरह विधानसभा क्षेत्रों की मतगणना संबंधी शिकायतें अगले 48 घंटे में आयोग को सौंपी जाएंगी.
सवाल ये भी है कि आयोग ने पहले भी इस तरह की शिकायतों को अनदेखा किया. ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित रहा और विधानसभा का कार्यकाल भी पूरा हो गया. तो क्या इन शिकायतों का भी यही हश्र होगा?
कांग्रेस ने मतगणना से जुड़ी इन शिकायतों को गंभीरता से लिया है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान, पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष प्रताप बाजवा और मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने अपनी शिकायतें सौंपी. इस बैठक में कांग्रेस के क़ानूनी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े.
आयोग से बैठक के बाद पवन खेड़ा ने बताया कि चुनाव आयोग को कांग्रेस ने अपनी 20 शिकायतों के बारे में जानकारी दी है. इनमें सात शिकायतें लिखित में मौजूद हैं। खेड़ा ने बताया कि करनाल, डबवाली, रेवाड़ी, पानीपत सिटी, होडल, कालका और नारनौल से मतगणना संबंधी शिकायतों से जुड़े दस्तावेज आयोग को दे दिए गए हैं. इन शिकायतों में ईवीएम की 99 प्रतिशत बैट्री से जुड़ा मामला है, जिससे कांग्रेस ने चुनाव आयोग को अवगत कराया है. खेड़ा ने कहा, मतगणना के दिन कुछ मशीनों की बैट्री 99 प्रतिशत चार्ज थीं और अन्य सामान्य मशीनों की बैट्री 60-70 प्रतिशत चार्ज दिखा रही थीं.
मतगणना के दौरान नारनौल के प्रत्याशी ने अपनी शिकायत में उन ईवीएम के नंबरों का हवाला दिया है, जिनमें बैटरी 90 फीसदी से ज्यादा चार्ज पाई गईं.
अजय माकन और अभिषेक मनु सिंघवी ने मांग रखी है कि जांच पूरी होने तक इन मशीनों को सील किया जाए.
हरियाणा के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने वीवीपैट की पर्चियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों के वीवीपैट की पर्चियों के मिलान के अनुरोध को कई जगह रिटर्निंग अधिकारियों ने खारिज कर दिया. उन्होंने मांग की वीवीपैट की पर्चियों का मिलान किया जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. उदयभान ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हम एकतरफा सरकार बनाने जा रहे हैं, हमारे पास सभी व्यवस्थाएं हैं, आप चिंता मत करिए”.
वहीं कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये नतीजे इसलिए चौंकाने वाले हैं क्योंकि पोस्टल बैलट की गणना में कांग्रेस जीतती दिखाई देती है, वहीं ईवीएम की मतगणना में बीजेपी जीत जाती है. आंकड़ों के मुताबिक पोस्टल बैलट में कांग्रेस को 74 फीसदी वोट हासिल हुए हैं, वहीं, बीजेपी को महज 16 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं. जबकि अंतिम परिणामों बीजेपी को 47 सीटें मिली हैं. हुड्डा ने ये भी आरोप लगाया कि पोस्टल बैलेट की गणना पहले करने के अनुरोध को भी कई जगह ठुकरा दिया गया.
नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने परिणामों को अप्रत्याशित और अस्वीकार्य बताया था. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इसे साजिश करार दिया और कहा था कि जिन ईवीएम की बैटरियां 60 से 70 फीसदी चार्ज थी, उनमें कांग्रेस आगे और जो 99 फीसदी चार्ज वाली ईवीएम थी, उनमें बीजेपी का आगे होना साज़िश नहीं तो और क्या है?
कांग्रेस ने आयोग के सामने लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव का मुद्दा उठाया. राजनांदगांव से प्रत्याशी और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि चुनाव के बाद में फॉर्म 17 C में मशीनों के नंबर दिए गए. आयोग द्वारा एक ही बूथ जहां न ही मशीन बदली गई न ही निरस्त की गई वहाँ के लिए ( Randomization Report और फॉर्म 17 C में ) दो अलग अलग नंबर दिए गए. बताइए इसके सही किसे माना जाए ? एक बूथ पर दो नंबर के मशीन कैसे हो सकते हैं?
यहां पर अहम बात ये है कि रेंडमाईजेशन के बाद और वोटिंग के पहले ईवीएम के बदलाव की शिकायत पर आयोग ने साफ ज़वाब नही दिया.
हरियाणा चुनाव नतीजों के मामले में भी आयोग के सूत्रों ने यही काम किया. ईवीएम में लगने वाली बैटरी की तकनीकी जानकारी मीडिया को देते हुए बताया गया कि स्टोर किए जाने के बाद बैटरियों में कुछ हद तक स्वत: चार्ज होने की क्षमता होती है. अगर ये सही भी है तो 60-70 फीसदी से 90 फीसदी तक बैटरियों के चार्ज होने की बात फिर भी गले नहीं उतर रही है.
जहां तक वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का सवाल है तो नियम के मुताबिक हर विधानसभा के किन्ही पांच रेंडम बूथ की पर्चियों के मिलान का प्रावधान रखा गया है. ऐसे में चुनाव आयोग से उम्मीद की जा रही है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने में अपनी पारदर्शिता बरकार रखेगा. साथ ही 90 फीसदी से ज्यादा चार्ज ईवीएम के बारे में सही फैसला सुनाएगा.
वहीं सांख्यकीय आधार पर विश्लेषण करते हुए चुनाव विशेषज्ञ औऱ पत्रकार प्रणय रॉय ने कहा है कि कांग्रेस को हरियाणा में 39.9 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं बीजेपी का वोट शेयर 39.3 है. सिर्फ दशमलव छह फीसदी वोट कम होने के बावजूद बीजेपी को 11 सीटें ज्यादा मिलना यानि 30 फीसदी ज्यादा सीटें हासिल होना आश्चर्यजनक है. ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है.
सेफॉलॉजिस्ट और राजनेता योगेंद्र यादव भी अभी तक इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं कि आखिर वो कौन सा अंडर करेंट था, जो सभी चुनाव विशेषज्ञों की नज़रों से बच गया.
वहीं मीडिया ने मतदान प्रतिशत को लेकर भी सवाल उठाया है. पूछा जा रहा है कि 5 तारीख की रात 11:00 बजे तक 61% पोलिंग रिकॉर्ड की गई. वहीं, दूसरे दिन ही मतदान सात फीसदी तक बढ़ा और 68 प्रतिशत कैसे हो गया. वहीं मतदान के अंतिम आंकड़े 5 तारीख को वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं किया गया. दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान भी वोटिंग प्रतिशत और समय पर फायनल परसेंटेज अपलोड न किए जाने से चुनाव आयोग पर सवाल खड़े हुए थे. एक अनुमान के मुताबिक पहले चरण से लेकर अंतिम चरण तक कम से कम पांच करोड़ मतदाताओं की संख्या बढ़ी थी, जो संदेह व्यक्त करता है.
लेकिन पूरे मामले में कांग्रेस नेता गुरदीप सप्पल का ट्वीट बहुत अहम सवाल खड़ा करता है. अपने ट्वीट में सप्पल ने बताया कि 2017 में उत्तराखंड चुनाव के दौरान भी विकासनगर में 8 और मसूरी-राजपुर में 4-4 ईवीएम दूसरे नंबरों की पाई गईं थी. खबरो के मुताबिक हाईकोर्ट ने रायपुर,रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण और प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्रों की ईवीएम को सील करने का आदेश दिया था. विकासनगर सीट पर बीजेपी के मुन्ना सिंह से हारे कांग्रेस प्रत्याशी नवप्रभात की याचिका पर अदालत ने ये आदेश जारी किया था. इसके बाद नवप्रभात ने ईवीएम को लेकर याचिका भी दायर की. सरकारें बदल गई और मामला अब भी लंबित है.
ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा में शपथ ग्रहण होने के बाद निर्वाचन आयोग और अदालत से क्या उन नागरिकों को न्याय मिल पाएगा, जिनके मताधिकार के साथ ये खिलवाड़ हुआ है. या फिर 2017 से उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित याचिका की तरह न्याय के लिए अनिश्चित काल तक कांग्रेस को इंतज़ार करना पड़ेगा ?