महिलाओं के प्रति अपराध पर चुप क्यों रहते हैं नारी शक्ति के नारे लगाने वाले पीएम मोदी..

पीएम मोदी बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओ का ढोंग करते हैं, वहीं उनकी भारतीय जनता पार्टी चुनावी फायदे के लिए बलात्कारियों के साथ खड़ी दिखाई पड़ती है.

         कर्नाटक में जनता दल सेकुलर के सांसद और लोकसभा प्रत्याशी प्रज्वल रेवन्ना के पोर्न वीडियोज़ ने बीजेपी और एनडीए की नारीशक्ति के नारे की पोल खोल दी है. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी दैवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना की महिलाओं से ज़बरदस्ती संबंध बनाते हुए2976  वीडियों क्लिप सामने आई हैं. रेवन्ना पर ये भी आरोप हैं कि उन्होंने 68 साल की उम्र की महिला के रोते हुए मना करने के बावजूद वीडियो शूट किए. ये महिला कहती रही कि मैनें तुम्हारे पिता और बाबा को अपने हाथ से खाना खिलाया है. यही नहीं प्रज्वल ने इन महिलाओं को ब्लैकमेल भी किया. 

ये  वही प्रज्वल रेवन्ना हैं जिनके लिए मोदी छाती ठोक कर कह रहे थे कि प्रज्वल को दिया हर वोट मोदी को जाएगा.

सवाल उठ रहा है कि दिसंबर 2023 से इस मामले की जानकारी होने के बावजूद पीएम मोदी और उनकी सरकार ने प्रज्वल रेवन्ना को रातोंरात जर्मनी भागने कैसे दिया. उसका पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं किया गया ?सरकार जानबूझ कर हाथ पर हाथ धर कर क्यों बैठी रही?  

अमित शाह आदरपूर्वक “श्री रेवन्ना” कह कर  इसका ठीकरा कांग्रेस की राज्य सरकार पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन कर्नाटक सरकार नेे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है. 

कर्नाटक बीजेपी के नेता जी. देवराजे ने कहा कि उन्होंने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को पत्र लिख कर मामले की जानकारी देते हुए प्रज्वल रेवन्ना को एनडीए से टिकट ना देने की सलाह दी थी. समझा जाता है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मामले की जानकारी का फायदा लेते हुए जनता दल सेकुलर को गठबंधन के लिए मजबूर किया. लेकिन पूरा मामला सामने आते ही बीजेपी ने अपना पल्ला झाड़ लिया है.

चुप्पी तोड़ो प्रधानमंत्रीजी !!

नारी शक्ति का नारा उछालने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  प्रज्वल रेवन्ना के मामले में मौन धारण कर लिया है. उनके साथ-साथ नारी सम्मान पर आक्रामक होने वाली बीजेपी की महिला नेत्री भी रक्षात्मक मुद्रा में मौन साध चुकी हैं. इनमें वो स्मृति ईरानी भी हैं, जिन्हें लगा था कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उनकी तरफ फ्लाइंग किस फेंका था. वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग भी बीजेपी को आम चुनाव में भारी नुकसान के अंदेशे से 48 घंटे बाद जागा है और कर्नाटक पुलिस महानिदेशक से मामले की रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

सैकड़ों महिलाओं के मंगलसूत्र दूषित करने वाले पर चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री ?

महिलाओं के मंगलसूत्र को चुनावी मुद्दा को लेकर चुनावी मुद्दा बनाने वाले पीएम मोदी की इस मामले पर चुप्पी से उनकी साख को गहरा धक्का लगा है. उनसे पूछा जा रहा है कि कर्नाटक की तीन हजार महिलाओं के मंगलसूत्र को दूषित करने वाले मामले पर  मौन क्यों हैं मोदी.

मोदी का मणिपुर पर मौन कब टूटेगा?

    मणिपुर में दो महिलाओं के साथ सार्वजनिक तौर पर सामूहिक बलात्कार की रौंगटे खड़े कर देने वाली घटना के बावजूद पीएम मोदी की चुप्पी ने दुनिया भर में न सिर्फ प्रधानमंत्री पद की बल्कि भारत की गरिमा को गहरा आघात पहुंचाया था. लेकिन इस बेशर्म चुप्पी के बाद भी पीएम मोदी ने बहुत बेशर्मी से महिला सुरक्षा, सुविधा और सशक्तिकरण को मोदी की गारंटी बताया है.

पहलवान बेटियों को न्याय कब दिलाएंगे पीएम मोदी?

संदेशखाली को चुनावी  मुद्दा बनाने वाले पीएम मोदी महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में मुंह सिल कर बैठे थे. ये उनका ही  वरदहस्त है कि आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह के गिरबान तक पहुंचने की पुलिस ने हिम्मत नहीं जुटाई. ना ही भारतीय कुश्ती संघ से उनके खानदान का जलवा कम हो पाया. अपना टिकट काटने को लेकर सीधे चुनौती देने वाले ब्रजभूषण के सामनेपीएम मोदी समेत पूरे  बीजेपी नेतृत्व की घिग्घी बंधी रही.  वहीं जब देश की बेटियां ओलंपिक से तमगे लेकर आई थीं तो पीएम मोदी उन्हे बुला कर उनके साथ तस्वीरें खिंचवा कर सियासी फायदा लेने से नहीं चूके थे. हैरानी की बात ये है कि बेटियों ने तब भी उनसे शिकायत की थी, लेकिन सुन कर मौन धारण कर गए थे पीएम मोदी.+

बिल्किस के बलात्कारियों के साथ क्यों खड़े थे मोदी..!!

वहीं बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार करने वालों को पिछले साल देश की आजादी के दिन यानि 15 अगस्त 2023 को गुजरात की बीजेपी सरकार ने सभी 11 दोषियों को समय से पहले रिहाई दे दी थी. उस समय पीएम मोदी लाल किले के प्राचीर से राष्ट्रीय चरित्र पर भाषण दे रहे थे.

 सिर्फ रिहाई ही नहीं, बल्कि बिकिस बानों के अपराधियों की हिंदुत्ववादी संगठनों ने जगह जगह आरती भी उतरवाई गई और सार्वजनिक सम्मान करवाया गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई को अवैध घोषित कर बलात्कारियों को वापिस जेल भेजा तो पीएम मोदी को राष्ट्रीय चरित्र याद नहीं आया. 

तब कांग्रेस नेता रहुल गांधी ने कहा था कि चुनावी फायदे के लिए न्याय की हत्या की हत्या की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि बलात्कारियों का संरक्षक कौन है.

सख्त कानून व्यवस्था का शिगूफा छोड़ने वाली उत्तर प्रदेश में योगी की भगवा सरकार महिलाओं के प्रति अत्याचार में सबसेे आगे हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग पर काबिज बीजेपी नेता रेखा शर्मा ने हाल ही जनवरी में महिलाओं के प्रति अपराध मेें यूपी को अव्वल बताया था.  आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 2022-23 में महिलाओं के प्रति अपराध के सोलह हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे.

प्रधानमंत्री मोदी का ठंडा पड़ा खून तब क्यों नहीं खौलता है जब कानपुर में सामूहिक बलात्कार की शिकार दो नाबालिग बच्चियों ने बेर के पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. केस वापस लेने के लिए ईंट भट्टे के मालिक केे दबाव के कारण पीड़िता के पिता ने भी अपनी जान दे दी थी. तब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था कि जब यूपी में पीड़ित बच्चियां और महिलाएं न्याय मांगती हैं तो उनके परिवारों को बरबाद कर देना एक नियम बन चुका है.

हाथरस की निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद तो बीजेपी की निरंकुश सत्ता का असली  अपना पाशविक चेहरा दिखाया. पीड़िता का रीति रिवाज से अंतिम संस्कार का मौका दिए बगैर माता-पिता को घर में बंद कर प्रशासन ने देर रात उसका शव मिट्टी के तेल से फूंक दिया. गांव के सारे रास्ते सील कर दिए. कवर करने गए पत्रकार कप्पन सिद्दीक को 41 महीने तक जेल में ठूंस दिया गया. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यूपी पुलिस को यौन हिंसा और फोरेंसिक जांच में कोताही का दोषी पाया था. 

उन्नाव का माखी कांड तो मोदीजी को अच्छी तरह याद होगा, जब अपनी बहनों के साथ योगी केघर के सामने बलात्कार पीड़िता ने आत्मदाह की कोशिश की थी. वही, अगले ही दिन तड़के उसके पिता की बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के गुर्गों की पिटाई से मौत हो गई थी. ये मौत साल भर की कोशिश के बाद अदालत के दखल से एफआईआर दर्ज होने की सज़ा थी. पिता की मौत के बाद चाचा को जेल में ठूंस दिया गया. बच्ची ने सुप्रीम कोर्ट तक को चिट्ठी लिखी. 2019 में दूसरी बार नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर बीजेपी की दबंगई का कहर इस बच्ची पर टूटा. उनकी कार में एक ट्रक से टक्कर से पीडि़ता की चाची और उसकी बहन की जान ले ली गई. पीड़िता और उसके वकील बुरी तरह जख्मी हो गए. तब जा कर सुप्रीम कोर्ट के दखल से कुलदीप सेंगर को दस साल की सज़ा हो पाई और  पीड़िता को इंसाफ मिला. लेकिन अपना परिवार खोनेे की कीमत पर. प्रधानमंत्री मोदी की जुबान को 

पिछले सात साल से इस मामले में लकवा मार गया है. एक बार भी इसे लेकर भावुक नहीं हुए, ना ही रोए. 

 चुप्पी  क्यों नहीं तोड़ते प्रधानमंत्री.. तब भी नहीं तोड़ते जब जम्मू के कठुआ में घुमंतू जाति की एक आठ साल की बच्ची को दस जनवरी, 2018 को एक मंदिर में बंधक बना कर बार-बार सामूहिक बलात्कार किया गया. तीन दिन तक  मंदिर के पुजारी और दो पुलिसकर्मी समेत 8 लोगों के बलात्कार के बाद 13 जनवरी को सिर पर पत्थर मार कर मार डाला गया. चार्जशीट के मुताबिक यही नहीं हत्या को कुछ देर इसलिए रोका क्योंकि पुलिस अफसर भी बच्ची से रेप करना चाहता था. इसके बाद दूसरों ने भी बलात्कार किया.

लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं है. इसके बाद बलात्कारियों को बचाने के लिए 4 मार्च को हिंदू एकता मंच ने क्राइम ब्रांच के खिलाफ तिरंगा यात्रा निकाली. 

ऐसे में अगर लोग बीजेपी को बलात्कारी जनता पार्टी कहने लगे हैं, तो क्या गलत है. पाखंड से चरित्र छिपाया नहीं जा सकता.

लिहाजा मंगलसूत्र के बहाने कांग्रेस के हिस्सेदारी न्याय पर सवाल उछालने वाले प्रधानमंत्री मोदी चुप रह कर मंगलसूत्र पहनने से पहले उनका सपना उजाड़ने वालों के साथ खड़े नज़र आते हैं. क्योंकि 

 

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध 

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध…

Shares:
Post a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *