राष्ट्रवादी मोदी-बीजेपी-संघ धंधे के लिए चीन को अपना देश बेच रहे हैं !!
खुद को राष्ट्रवादी बताने वाले प्रधानमंत्री मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं, जैसे कोई पर्दानशीन अपने शौहर का नाम लेने से परहेज करती है.
कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और बीजेपी नेताओं की चीन यात्रा और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर बीजेपी के राष्ट्रवाद पर सवाल खड़े किए हैं.
‘‘ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है’, ये कहते हुए जून 2020 को पीएम मोदी ने लद्दाख में घुसपैठ करने वाले चीन को क्लीन चिट दे दी थी. अब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 2008 के बाद से आरएसएस-बीजेपी नेताओं ने 12 बार चीन की यात्राएं की हैं और पार्टी और सरकार के वरिष्ठ नेताओ से गुप्त बैठकें की हैं. कांग्रेस का कहना है कि देश की जनता को ये जानने का हक है कि इन बैठकों में क्या बात हुई.
कांग्रेस ने आरएसएस-बीजेपी नेताओं की चीन यात्रा का ब्यौरा देते हुए पूछा है कि चीन घुसपैठ पर चुप्पी की आखिर वजह क्या है?
पार्टी ने ये भी पूछा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच हुई एक दर्जन से ज्यादा बैठकों की वजह क्या है. बीजेपी के कैडर्स को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के “पार्टी स्कूल” में क्या सीखने के लिए भेजा गया?
ये रिश्ता क्या कहलाता है…???
कांग्रेस ने बीजेपी के राष्ट्रवाद के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए सबसे अहम सवाल पूछा कि जून 2017 में जिस वक्त डोकलाम में सड़क बनाने से रोकने के लिए भारतीय जांबाज़ पीएलए से आंख से आंख मिलाए खड़े और दो महीने तक आगे ना बढ़ने दिया, उस वक्त आरएसएस और बीजेपी के नेता चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बीजिंग में बैठकें क्यों कर रहे थे?
2008 से लेकर अभी तक बीजेपी-संघ के नेताओं की चीन यात्राओं और चीनी प्रतिनिधियों की भारत में बीजेपी नेताओं से गोपनीय बैठकों का खुलासा हैरान करने वाला है. कांग्रेस ने इन यात्राओं और बैठकों का तारीखवार जानकारी सामने रख कर मोदी सरकार से इन मुलाकातों का पूरा ब्यौरा मांगा है.
कांग्रेस के मुताबिक
- अक्टूबर, 2008 में चीन का पंद्रह सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल की बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यालय में बैठक, जिसके बाद राजनाथ सिंह ने वक्तव्य दिया था कि बीजेपी हमेशा चीन से संबंधों को प्रगाढ़ करने के पक्ष में रही है.
- जनवरी,2009 को आरएसएस औऱ बीजेपी का प्रतिनिधि मंडल बीजिंग और शंघाई में जा कर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं औऱ विशेष तौर पर कम्युनिस्ट पॉलित ब्यूरो के नेताओं से मुलाकात की क्या वजह थी?
- जनवरी,2011 को बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने चीन की यात्रा कर कम्युनिस्ट नेताओं से मुलाकात की और इन मुलाकातों को परस्पर सद्भाव बढ़ाने का नाम दिया
- नवंबर,2014 में बीजेपी की 13 सदस्यीय टीम ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी केे पार्टी स्कूल का मुआयना किया. वरिष्ठ बीजेपी नेता भगत सिंह कोश्यारी ने नेशनल कमेटी ऑफ चाइनीज़ पिपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फेरेंस के उपाध्यक्ष से मुलाकात की.
- फरवरी,2015 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमेटी मेंबर ने बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की.
- अक्टूबर, 2015 को बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने चीनी सेंट्रल कमेटी के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग के उपमंत्री शेन फेंग ज़ियांग से चीन जा कर मिले.
- जून,2017 में डोकलाम में भारतीय सैनिकों से दो महीने से टकराव चल रहा था, उस वक्त आरएसएस के नेता राम माधव चीन के फ्यूझो में चीनी डिप्लोमेट और कम्युनिस्ट नेता GUO ZHOU से मुलाकात क्यों कर रहे थे.
- मई,2018 में बीजेपी नेता अनिर्बान गांगुली ने GUO ZHOU से शेंजेन में क्यों मुलाकात की.
- अगस्त,2018 में एक बार फिर आरएसएस नेता राम माधव ने चीन जा कर बीजिंग में एक कम्युनिस्ट मंत्री से मुलाकात की.
- सितंबर,2018 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चीन जा कर कम्युनिस्ट पार्टी पालिच ब्यूरो के सदस्य हुआंग कनमिंग से मुलाकात की. और कथित तौर पर इसे राजनीतिक दलों के बीच नए तरीके केे रिश्ते विकसित करने वाली बैठक बताया.
- अगस्त,2019 को बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने चीन की यात्रा की. इसी दौरान बीजेपी कैडर के स्टडी ग्रुप की कम्युनिस्ट नेता GUO ZHOU से लंबी चर्चा हुई.
- सितंबर,2019 को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चीनी राजदूत से मुलाकात का असली मकसद क्या था,
कांग्रेस ने हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रवादी मुखौटे को उतारते हुए पीएम मोदी से पूछा था कि क्या सरकार ने डेपसांग और डेमचोक में हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर ‘‘चीनी कब्जे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के चार साल पूरे होने के मौके पर पूछा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चीन नीति की ‘घोर विफलता’ की जिम्मेदारी कब लेंगे
पूर्वी लद्दाख में झड़प के बाद 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष में 20 सैनिक मारे गए थे.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी ने “ना कोई घुसा था, ना ही कोई घुसा हुआ है” के बयान से पूर्वी लद्दाख में हमारी 2,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक जमीन पर चीन के कब्जे को वैध ठहरा दिया.
लद्दाख के लोगों ने इसी घुसपैठ पर चुप्पी और अपने अधिकारों को लेकर सीमा तक हाल ही में एक लाख लोगों की रैैली निकाली थी, तब सरकार ने वहां धारा 144 लगा कर उन्हें रोकने की कोशिश की थी. मशहूर पर्यावरणविद और वैज्ञानिक सोनम वांगचुक ने माइनस 16 डिग्री सेंटीग्रेड में लगातार 66 दिन तक धरना और अनशन किया. लेकिन छप्पन इंच का सीने ने ओंठ सिल लिए.
भारत सरकार के मुताबिक, चीन की सेना साल 2016 से 2018 के बीच 1,025 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर चुकी है. इसका मतलब है कि चीन ने हर साल औसतन 341 बार घुसपैठ की है.वर्ष 2019 में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में ये जानकारी दी थी कि केवल 2016 में ही चीन ने 273 बार घुसपैठ की, जो संख्या 2017 में बढ़कर 426 हो गई थी और 2018 में ये 326 पर आई.
बीजेपी-आरएसएस धंधे के लिए राष्ट्रवाद और गौरक्षा जैसे नारे भुला देती है. चीन से बढ़ते आयात ने देश के लघु,मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों को चौपट कर दिया है.
एमएसएमई से जुड़े करोड़ों मजदूर-कामगार भुखमरी के कगार पर है.
पीएम मोदी 2024 के आम चुनाव की रैलियों में जिस सूर्यघर बिजली योजना को बिजली बेचने की मशीन बता रहे हैं, साथ ही तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली का शिगूफा छोड़ रहे हैं. 75 हजार करोड़ की इस योजना के सारे कलपुर्जे,सोलर सेल वगैरह चीन से ही आयात किए जाने हैं.
इस योजना का ठेके और आयात के लाइसेंस किसे मिलेंगे और मुनाफा किसको होगा, ये बताने की ज़रूरत नहींं है.