महात्मा से इतना डर क्यों हैं मोदीजी!! गांधी एक विचार है, दुनिया के दिलों में जिंदा है.. 

    सच ही कहा आपने मोदीजी,  “पचहत्तर साल में हमारी जिम्मेदारी नहीं थी क्या कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जानें, कोई नहीं जानता महात्मा गांधी को, पहली बार जब गांधी फिल्म बनीं, तब दुनिया में क्यूरियासिटी हुई कि ये क्या -कौन हैं”.

मोदीजी, आपका ये सवाल अज्ञान नहीं,  महात्मा गांधी की वैचारिक हत्या का प्रयास है. आपके मुताबिक महात्मा को दुनिया ने तब जाना , जब 1982 में उन पर फिल्म बनाई गई. उस फिल्म से जन्मी जिज्ञासा ने महात्मा को मशहूर कर दिया.

मोदीजी, आप कन्याकुमारी जा कर विवेकानंद रॉक मेमोरियल में मन और चित्त को स्थिर कर गांधी को पढ़िए. 

बापू के प्रिय भजन वैष्णव जन ते तैने कहिए, जे पीर पराई जाणे रे को सुनिए तब आपकी आत्मा जागेगी. आप समझ पाएंगे कि सच्चा वैष्णव वही है, जो दूसरों की पीड़ा, दुख और दर्द को समझता हो..

आप ये समझ गए तो निस्संदेह आप घर में घुस कर मारने जैसी कायरता को वीरता मानना बंद कर देंगे..अहिंसा की ताकत समझ लेंगे.

इसी भजन की दूसरी पंक्ति है- पर दुख उपकार करे तोय मन अभिमान न आने रे.. यानि दूसरे के दुख को दूर करने पर आपके अंदर अहंकार ना आए. ये समझ गए तो मोदीजी आप ये कहना भूल जाएंगे कि “मोदी आपको पांच किलो राशन दे रहा है और अगर आप उसे वोट नहीं देंगे तो आपको पुण्य नहीं मिलेगा”

यही अहंकार इतना बढ़ चुका है कि आपसे कहने लगे हैं कि आप बॉयोलॉजिकल नहीं हैं, आप अजर अमर अविनाशी हैं आपका किस विशेष उद्येश्य से अवतार हुआ है.

मोदीजी आपके अवतरण के पीछे उद्येश्य क्या है, ये आपको जानना ज़रूरी है.

इसके लिए आपको  हिंदू धर्म को समझना होगा. महात्मा गांधी ने कहा है कि यदि मुझसे हिंदू धर्म की व्याख्या करने को कहा जाए तो मैंं इतना ही कहुंगा – अहिंसात्मक साधनों से सत्य की खोज

अगर आप हिंदू धर्म के इस मर्म को समझ जाते तो आपके दस साल के अन्याय काल में देश भर में इतना खून-खराबा नहीं होता.

आप पूरे चुनाव भर देश में नफरत फैला कर खून खराबा करने की कोशिश वाले भाषण नहीं देते.

गोधरा नरसंहार पर सियासी रोटियां सेक कर आप खून से सनी कुर्सियों पर बैठ कर शासन नहीं करते.

मणिपुर में वोटों की खेती के लिए बीजेपी सरकार की देखरेख में हुई जातीय हिंसा, सड़क पर करगिल में तैनात सैनिक की पत्नी को नग्न कर घुमाने और महिलाओं से चौराहे पर दिन दहाड़े बलात्कार पर आपको खुद से घिन पैदा हो जाती.

येे कायरता से जन्मा भय है कि आप मणिपुर नहीं जा पाए, ना ही पीड़ितों का दुख बांट पाए.

हिंदू-मुसलमान-सिक्ख, ईसाई और दलित-पिछड़ा सबको बांटने वाली राजनीति का शिकार बनाया.

हिंदू धर्म के प्रति आस्था का राजनीति में इस्तेमाल कर आपने देश को नफरत का बड़ा बाज़ार बना दिया है. 

ये बाजार इतना फैल चुका है कि कोई भी सियासी दल मोहब्बत की दुकान खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था सिवाय कांग्रेस और राहुल गांधी के.

कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ-हानि की परवाह किए बगैर देश को एकजुट करने के लिए  4 हजार किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा की..

घने अंधेरे और बियाबान से जन से जन को जोड़ते गए, कारवां बनता गया.

आपकी विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ देश की जनता उठ खड़ी हो गई.

पिछड़े-दलित-आदिवासी और गरीबों के न्याय के लिए अहिंसक न्याय युद्ध शुरू हो गया…

अब आपको महात्मा के बारे में दुनिया को समझाने-बताने की जरूरत समझ में आ रही है.

 आपने दस साल में महात्मा गांधी की विचारधारा की हत्या के लिए वाराणसी के सर्वसेवा संघ समेत कई जगहों पर गांधी आश्रमों को क्यों उजाड़ दिया. 

आज बापू की जयंती पर आपकी विचारधारा के लोग महात्मा की तस्वीर पर गोली मार कर जश्न मनाते हैं.

ऐसा जश्न के बारे में नवजीवन प्रकाशन अहमदाबाद से प्रकाशित गांधी के निजी सचिव रहे प्यारेलाल नैयर ने अपनी किताब ‘महात्मा गांधी: लास्ट फ़ेज‘ (पृष्ठ संख्या-70) में लिखा है, ”आरएसएस के सदस्यों को कुछ स्थानों पर पहले से निर्देश था कि वो शुक्रवार को अच्छी ख़बर के लिए रेडियो खोलकर रखें. इसके साथ ही कई जगहों पर आरएसएस के सदस्यों ने मिठाई भी बांटी थी.”

महात्मा के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाली बीजेपी की सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय आपने कहा कि दिल से माफ नहीं कर पाउंगा.

मोदीजी आप महात्मा गांधी को गुमनाम बता रहे हैं और कांग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. यहां भी घृणा की राजनीति छोड़ नहीं पा रहे हैं आप.

इतिहास को घृणा से भरने की राजनीति के लिए ये देश कभी भी आपको दिल से माफ नहीं कर पाएगा.

कांग्रेस के नेता और लौहपुरुष जिन्हें आप कांग्रेस से छीनने की पूरी कोशिश की है, उन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आपके वैचारिक पितर गुरु गोलवलकर को लिखे पत्र में कहा था कि गांधी की हत्या के लिए देश में जो जहरीला वातावरण बना हैै, उसके लिए राष्ट्रीय स्वयंं सेवक संघ जिम्मेदार है.

सच्ची कहूं तो ये देश गांधी के आदर्शों पर चल रहा था, इसीलिए वो गोडसेवाद देश में अभी तक पल रहा है. क्योंकि ये देश संवाद और अहिंसा में विश्वास करता रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि “जिनके वैचारिक पूर्वज नाथूराम गोडसे के साथ महात्मा गाँधी जी की हत्या में शामिल थे, वो बापू द्वारा दिए गए सत्य के मार्ग पर कभी नहीं चल सकते।”

अज्ञान कहना गलत होगा, झूठ का आलम ये है कि मोदी जी आप कह रहे हैं कि

“इस देश का काम था कि अगर मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला को लोग जानते हैं तो महात्मा गांधी किसी से कम नहीं थे.”

तो मोदी जी आपको बताना ज़रूरी होगा कि महान वैज्ञानिक अलबर्ट आईंस्टीन ने महात्मा के बारे में कहा था कि-

“अपने लोगों का एक नेता, जिसे किसी भी बाहरी ताकत का समर्थन नहीं है, एक ऐसा राजनीतिज्ञ जिसकी सफ़लता तकनीकी उपकरणों और कलाबाजियों के बजाय उसके व्यक्तित्व की विश्वास करने की क्षमता पर निर्भर है. एक विजयी योद्धा जिसने ताकत के इस्तेमाल से हमेशा नफरत की है. एक बुद्धिमान और विनम्र इंसान, जो सुलझी हुई और अटल निरंतरता के साथ काम करता है, जिसने अपनी सारी ऊर्जा को अपने लोगों के उत्थान में और उनकी सर्वस्व की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है, एक इंसान जिसने यूरोप की क्रूरतापूर्ण निर्दयता का साधारण मानव की गरिमा से डटकर सामना किया है, और इस तरह हमेशा उच्चता और उत्कृष्टटा के साथ उभरा है.आने वाली पीढ़ियों, बहुत संभव है कि यह बहुत मुश्किल से विश्वास करेंगीं कि इस तरह के किसी  हाड़-मांस और खून वाले ने कभी धरती पर चहलकदमी की होगी.”

अमेरिका के मानवाधिकार  नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने महात्मा को अपने संघर्ष की प्रेरणा कहा था. तो नेल्सन मंडेला ने तो दक्षिण अफ्रीका का पूरा आंदोलन ही गांधी के आदर्श और सत्याग्रह से प्रेरित हो कर चलाया.

अव्वल तो मोदीजी महात्मा गांधी को मशहूर करने के लिए पॉलिटिकल ब्रांडिंग की ज़रूरत नहीं है. 

 जो आप नहीं थे, उसे मीडिया और ब्रांडिंग कंपनियों के जरिए बनाया गया है. आप मुखौटा हैं मोदीजी, शोषक वर्ग ने ही दस साल शासन चलाया है.

और अब वो झूठ का ये भरम टूट रहा है… 

अगर महात्मा गांधी के् लिए अचानक इतनी श्रद्धा बढ़ गई है तो सत्य बोलना सीखिए.

क्योंकि महात्मा कहते थे कि 

मैं पुजारी तो सत्यरूपी परमेश्वर का ही हूं. वह एक ही सत्य है और दूसरा सब मिथ्या है. यह सत्य मुझे मिला नहीं हैं, लेकिन मैं इसका शोधक हूं. जिसके लिए मैं अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु का त्याग करने को भी तैयार हूं. और मुझे यह विश्वास है कि इस शोधरूपी यज्ञ में इस शरीर को भी होम करने की मेरी तैयारी है और शक्ति है…. 

आपकी विचारधारा ने तीन गोलियां चलाईं…

बापू जमीन पर गिर पड़े..

मुंह से निकला -हे राम

आप के भी निशाने पर लोकतंत्र, संविधान और आरक्षण हैं..

लेकिन मत भूलिए ये गांधी का देश है..

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